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अक्षरों का प्रभाव
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प्रत्येक अक्षर अपने आप में एक महान शक्तिशाली मंत्र है।
वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर के उच्चारण से मनुष्य के शरीर पर विशिष्ट प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिये ‘र’ अक्षर बिन्दु सहित अर्थात ‘ रं ‘ का १००० बार उच्चारण करतें रहें तो आपके शरीर का टेम्प्रेचर एक डिग्री बढ़ जायेगा।
यदि ‘ ख ‘ को बिन्दु सहित ‘ खं ‘ उच्चारण करते रहे तो आपके लीवर की शिकायत मिट जायेगी, कर के देख सकते हैं।
प्रत्येक अक्षर को अनुस्वार लगाने के बाद ही मनन करना चाहिए जैसे अं ऊं कं चं टं आदि।
प्रत्येक वर्ण को हींकार से युक्त करके जप करें जैसे हीं रं, हीं रं, हीं रं आदि।
अ – मृत्यु नाशक।
आ- आकर्षण करने वाला है।
इ – पुष्टिकर, हर बीज।
ई – आकर्षक करने वाला।
उ – शक्ति देने वाला।
ऊ – उच्चाटन करने वाला।
ऋ – क्षोभण करनेवाला।
लृ – विद्वेषण करनेवाला।
ए – वश्य करनेवाला।
ऐ – पुरुष वश्य करने वाला।
ओ – लोक वश्य करने वाला।
औ- राज्य वश्य करनेवाला।
अं – हाथी वश्य करनेवाला।
अः – मृत्यु का नाश करनेवाला।
क – विष बीज है।
ख – स्तोभ बीज।
ग – गणपति बीज है।
घ – स्तंभन,मारण व ग्रहण बीज है।
ड़ – असुर बीज है।
च – सुर बीज, चन्द्र बीज।
छ – लाभ बीज, मृत्यु नाश।
ज – ब्रह्म राक्षस बीज।
झ – अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष देने वाला।
ञ – मोहन बीज।
ट – क्षोभण बीज चित्त को कलंकित करनेवाला।
ठ – विष और मृत्यु का नाश करने वाला।
ड – गरुड़ बीज।
ढ – धन धान्य की वृद्धि करनेवाला।४००००० जप
ण – असुर बीज।
त – अष्ट वस्तु का बीज।
थ – मृत्यु भय नाश।
द – दुर्गा बीज, वश्य और पुष्टि करता है।
ध – सूर्य बीज है, यश और सुख देने वाला।
न – ज्वर बीज है, बुखार का नाश करता है।
प – सर्वविघ्नो का नाश करता है।
फ – विष्णु बीज है, धन धान्य वृद्धि।
ब -ब्रह्म बीज, वात,पित्त, कफ का नाश करता है।
भ – भद्रकाली बीज है।
म -माला,अग्नि बीज, भूत-पिशाच नष्ट करता है।
य – वायु बीज है, उच्चाटन करनेवाले।
र – अग्नि बीज है उग्र करने वाला।
ल – इन्द्र बीज है सम्पत्ति देने वाला।
व – वरुण बीज, विष व मृत्यु का नाश।
श – सूर्य बीज है, अर्थ, धर्म, काम,मोक्ष देता है।
ष – वाग्यबीज है, सिद्धि वचन देने वाला।
स – लक्ष्मी बीज है,एक लाख जप करने से लक्ष्मी।
ह – शिव बीज, गगन बीज।
क्ष – पृथ्वी बीज इसे नृसिंह बीज भी कहते है।
त्र – त्रयंबक बीज है।
ज्ञ – ज्ञान बीज है।
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