अनाहत शब्द की जो अनाहत शब्द की जो विशेष ध्वनि है, उस ध्वनि के अन्तर्गत जो ज्योति है, उस ज्योति के अन्तर्गत जो मन होता है ,वह मन जहां विलय को प्राप्त होता है ,वह स्थान ही परमपद / समाधि है । 00