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रावण का जन्म कहाँ हुआ था ?
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उत्तर;- प्रजापति ब्रह्मा के पुत्र पुलस्त्य एक बार सुमेरु मे वहां के राजा तृणविंद के आश्रम मे तपस्या व स्वाध्याय करने लगे।उसीआश्रम के पास प्रति दिन कुछ कन्यायें आती थी और महात्मा के धर्माचरण मे विघ्न पहुंचाती थी।इससे मुनि बहुत रुष्ट हुये और कह दिया कि जो कन्या यहां दिखाई देगी वह गर्भवती हो जायेगी। उसके अगले दिन इस बात से अंजान तृणविंद की कन्या आश्रम मे गयीं और गर्भवती हो गयी। पिता की विनय पर पुलस्त्य ऋषि ने वरण किया ।बाद मे वही पुत्र विश्रवा नाम से प्रसिद्ध हुआ।
बाद मे विश्रवा ने भारद्वाज पुत्री से विवाह किया और पुत्र कुबेर ( वैश्रवण ) को जन्म दिया।
कुबेर तपस्या से खुश होकर ब्रह्मा के उसे चौथा लोकपाल बनाया और लंका मे रहने को कहा और पुष्पक विमान दिया।
जलचरों के अधिपति हेति ने काल की भगिनी भया से शादी कर विद्युत्केश पुत्र को पैदा किया।
इस विद्युत्केश ने संध्या की पुत्री सालकंटका से शादी कर एक पुत्र को जन्म दिया और वही छोड़ दिया जो सुकेश नाम से जाना जाता है।
सुकेश ने ग्रामणी गंधर्वा की पुत्री देववती से शादी की और तीन पुत्रो को जन्म दिया जिनका नाम माल्यवंत,सुमाली, माली थे।
सुमाली ने केतुमति से शादी कर ११ पुत्र और ४ पुत्रियों को जन्म दिया।
इन्हीं पुत्रियों मे से कैकसी नाम की पुत्री ने महागिरि सुमेरु पर प्रजापति कुलोत्पन्न मुनिवर विश्रवा से पुत्र पाने की आकांक्षा की थी तब विश्रवा ने कहा अरीमंद बुद्धि यह तूने ठीक नहीं किया और कहा कि तू ऐसे पुत्रों को जन्म दोगी जो भंयकर रुपाकृति के होंगे और राक्षसों से प्रीति रखेंगे, और तुम सदैव राक्षसों की उत्पत्ति करोगी,पर कैकसी के गिड़गिड़ाने पर विश्रवा ने कहा कि अंतिम पुत्र मेरे वंशानुसार धर्माचारी विवेकी होगा।
इसके तुरंत बाद दशग्रीव, कुंभकर्ण, सूर्पणखा और अंत मे विभीषण का जन्म हुआ।
ऐ सभी नाम विश्रवा ने दिये दशग्रीव ही रावण नाम से प्रसिद्ध हुआ।
अतः रावण का जन्म पृथ्वी लोक मे सुमेरु पर्वत पर विश्रवा आश्रम मे हुआ था। विश्रवा का आश्रम वहां के राजा तृणविंद के आश्रम के साथ लगा हुआ था। अर्थात आसपास था।