
प्रश्न :- मृत्यु के समय कौन से दुःख घेरते हैं ?
उत्तर ― मृत्यु के समय ४ प्रकार के दुःख घेरते हैं।
(अ) विश्लेषज दुःख ।
(ब) मोहज दुःख ।
(स) अनुतापज दुःख।
(द) अगामी दृश्य दर्शनज दुःख।
१- विश्लेषज दुख :- जब सूक्ष्म शरीर से स्थूल शरीर को पृथक होना पड़ता है, तो असहन वेदना का अनुभव करना पड़ता है। जब स्थूल -सूक्ष्म दोनों शरीरों का भार अब अकेले सूक्ष्म शरीर पर ही आने के कारण महती पीड़ा होती है, यही विश्लेषज दुःख है।
२- मोहज दुःख :- मरणोन्मुख प्राणी को चारों ओर से कुटुम्बीजन घेरे रहते हैं, सामने रोती पत्नी है, लाडले बेटे कह रहे हैं पिताजी आप हमें अनाथ छोड़कर जा रहे है, पुत्र वत्सला माँ आर्तनाद कर रही है पुत्र : तू क्यों कठोर हो वृद्धा माता को असहाय दशा मे छोड़े जा रहा है तब प्राणी का तीव्र मोह हृदय को अत्यंत संतप्त करता है इसी को मोहज दुःख कहते है।
३- अनुतापज दुःख :- मैने जन्म भर पाप किये, भूलकर भी भगवत भजन,साधु सेवा, दानादि पुण्य कार्य नहीं किये,अब मैं यमराज के दरबार में क्या उत्तर दूँगा. सोचकर असहन वेदना मुमूर्ष को होती है, इसी का नाम अनुतापज दुःख है।
४- अगामी दृश्य दर्शन दुःख :- मृत्यु के समय भावी दृश्य उपस्थित हो जाता है, मुझे रौरवादि भयंकर नरको मे ढकेला जायेगा, सोचकर हृदय भयभीत हो जाता है, इतना ही नहीं अधिक भय के कारण शय्या मे ही मलमूत्र का त्याग तक हो जाता है यही आगामी दृश्य दर्शनज दुःख है।
अतः मृत्यु का नाम सुनते ही डर जाता है।