January 7, 2019

अव्यक्त से व्यक्त की उत्पत्ति – भाग १

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” णद अव्यक्ते शब्दे “
नाद शिवात्मक है , शिव शक्ति के संक्षोभ से
नाद – बिन्दु –अक्षर ― मातृकाएँ
” यदक्षरं वेदविदो वदन्ति “
इसी अक्षर की वेदों में वंदना की गई है।
” सदा शिवोअ्पि भगवान नाद रुप तया^^गतम “
सदाशिव नाद रुप मे।
” ज्ञानमतेत् शिवोक्ष्मोत्थमे “ सभी ज्ञान शिव से प्रकट हुआ है।
सदाशिव/ ज्योति निरंजन / काल / ब्रह्म / क्षर पुरुष एक ही हैं।
यहां समझने वाली बात यह है कि जीव दो प्रकार के एक च्युत ( क्षर) और दूसरे अच्युत ( अक्षर )।
क्षर माने भौतिक जगत यहां जीवभूत कहलाते हैं । ( क्षरः सर्वाणि भूतानि ) ।
अक्षर माने अध्यात्मिक जगत यहां जीव प्रभु के गुणों से युक्त।
आईये एक चार्ट के रुप मे समझने का प्रयास करते हैं।

ब्रह्म ( अनादि परात्परा शक्ति ) Spiritual world
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महामाया ( Material world ) ज्ञान/ स्मृति= कलर
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अविद्या ( Wealth )
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महत्तत्व ( आकर्षक शक्ति + गुरुत्वाकर्षण शक्ति )= क्वार्क एवं ग्लूओन
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प्रकृति ― सत + रज + तम = परमाणु
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ज्ञान। ईच्छा क्रिया
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Proton Electron neutron = Atom
प्राण + मन + वाक = अव्यय ( सत)
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तप काम श्रम
अव्यय कलाओ = आत्मा = The Self
स्मृति zero like than space
बुद्धि = आत्मा की लहर ( wave of Atma)

स्वयंभू = स्वयं की तपश्र्चर्या से प्रकट ये स्वयंभू शक्ति, स्वयंभू गति, स्वयंभू आकर्षक शक्ति रखता है।

विज्ञान में आप इसे ऊर्जा समझें जो लगातार एवं नियमित घूमती और कंपन करती है।
Heat is n’t energy .
उर्जा विरल से तरल और फिर घन अर्थात पदार्थ के रूप में प्राप्त।
नाद Sound is a wave made of vibration in the air,
The breathless one is breathing on its own.
चेतना भी उर्जा का एक रूप है।
Continue…..

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