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पुराणों में सृष्टि क्रम:-
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जल मे निवास कर रहे विष्णु जी की नाभि से
कमल ( कमल के तीन भाग भूः,भुवः ,स्वः)
ब्रह्मा जी
अहंकार
प्रकृति ( तीन गुण)
(अ) सात्विक विकार से मन- सुरो,असुरों, गन्धर्वों, राक्षसों, पन्नगों,नागो, सप्त ऋषियों, अप्सराओं को पैदा किया।
(ब) राजस विकार से – सूर्य, चन्द्रमा, ताराग्रह, मेघ( बादलों) को पैदा किया।
( स) तामस विकार से – पृथ्वी आदि पंचमहाभूतों को बनाया।
फिर चार भागों में बाँट कर 84 लाख योनियों की रचना की।
१- जरायुज ये 2 प्रकार के
( अ) मनुष्य ,(ब) पशु।
२- अंडज ये 4 प्रकार के
(अ)सुपर्ण, (ब) भुजंग, ( स) कटि , (द) पिपीलिकाएं।
३- उद्भिज्ज ये भी 4प्रकार के
(अ)वृक्ष, ( ब) वल्ली , (स) गुल्म ,(द) तृण ।
४- स्वेदज ये 2 प्रकार के होते हैं,
( अ) क्लेद पसीने से उत्पन्न।
(ब) केश से उत्पन्न जैसे जूं, लीख आदि।