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जहाँ साँस वहां आँस
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श्रुतियों मे सुनते आये कि साँसे गिनी चुनी हैं, अर्थात एक जीवन को निश्चित साँसें प्रदान की गई हैं। यदि हम निर्धारित साँसें ही खर्च करेंगे तो निश्चित शतायु होंगे। परन्तु हम ऐसे काम करेंगे कि निर्धारित साँसों से अधिक साँसें खर्च हो,या श्वास गति बढ़ जाये तो हम पूर्ण आयु प्राप्त नहीं कर पायेंगे। मनुष्य की पूर्ण आयु १०० वर्ष, एवं परमायु १२० वर्ष हैं , जब हम १०-१२ साँस प्रति मिनट लेंगे। यदि इससे कम लेगें तो ज्यादा जीवन जीयेंगे।और यदि प्रति मिनट ज्यादा और ज्यादा लेंगे तो कम जी पायेंगे।
आईये पहले साँसों और जीवन का संबंध पर गौर करते हैं।
(१)-कछुआ प्रति मिनट ४ से ५ साँस लेता है और २५०-३०० वर्ष जीता है।
(२)- साँप प्रति मिनट ७ से ८ साँस लेता है और २०० वर्ष जीता है।
(३)- हाथी प्रति मिनट १० से १२ साँस लेता है और १०० से १२० साल जीता है।
(४)- मनुष्य प्रति मिनट १६ से १८ साँस लेता है और ९० से १०० साल जीता है।
(५)- बंदर प्रति मिनट ३१ से ३२ साँस लेता है और १५ से २१ साल जीता है।
(६) खरगोश ३८ से ३९ साँस प्रति मिनट लेता है, और ८ से ९ साल जीता हैं।
यहां प्रश्न उठता है कि उल्लेखित प्राणियों के लिए ऐसा ही सृष्टि का विधान हो, कि वे कम ज्यादा नहीं साँस ले सकते या कम ज्यादा नहीं जी सकते।
आइए निम्न लिखित बातों पर भी विचार करते हैं।
1- हेनरी जेन्किन्स सन 1500 मे यार्कशायर मे उत्पन्न हुआ और 172 वर्ष का होकर मरा।
2- थाँमस पार का जीवन जिसनें 1473 मे जन्म हुआ, 155 वर्ष जीवन जिया। 88 वर्ष में पहला विवाह, 120 वर्ष में दूसरा विवाह किया, वे 145 वर्ष मे दौड़ो मे शामिल होते थे।
3- वोस्टन निवासी मिस्टर 81 वर्ष तक रोज 8 मील पैदल चलकर आया करता था,81 वर्ष में पहली बार गाड़ी का सहारा लेना पड़ा तो उदास हो गया था।
4- राजा पोरस का हाथी, जिस पर सिकंदर ने विजय पाई थी,350 वर्ष बाद जिन्दा मिला।
5-वियना मे एक बाज 155वर्ष मे जिन्दा मिला
था।
6- एक व्हेल मछली 1000 वर्ष बाद भी जिन्दा मिली।
7- एक हंस 300 वर्ष उम्र का जिन्दा मिला।
उपरोक्त विवरण का अर्थ है ,निर्धारित उम्र से अधिक जिया जा सकता है।
इसका सिद्धांत वहीं निर्धारित साँसों की गति कम करें। पर कैसे?
अब आप ये जानिऐ किन कामों से श्वास की गति बढ़ती है, और किन कर्मो से श्वास की गति कम होतीं है।
वे कर्म जिनसे श्वास की गति बढ़ती है:-
(१) दौड़ना।
(२) अति हर्ष।
(३) आवेश।
(४) हिंसा।
(५) क्रोध।
(६) उत्तेजना।
(७) मैथुन क्रिया।
(८) ज्यादा दुःखी होना।
अब वे कर्म जिनसे श्वाँस गति कम होतीं हैं।
(१) नम्रता।
(२) क्षमा।
(३) शान्ति।
(४) ब्रह्मचर्य।
(५) प्राणायाम।
अतः गिनी चुनी साँसों का सदोपयोग करें।
(६) ध्यान आदि कर्म।