January 8, 2019

अव्यक्त से व्यक्त की उत्पत्ति – भाग 2

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परमात्मा – निर्गुण निराकार ब्रह्म
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आत्मा – सगुण साकार ब्रह्म
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जीवात्मा- संसारी मनुष्य, अज्ञान से आवृत्त
तम+ मोह + महामोह +तामिस्र +अंधतामिस्र
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अज्ञान अस्मिता भोगेच्छा क्रोध अभिनिवेश
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अनित्य-नित्य क्लेश सुख की ईच्छा द्वेष मृत्यु का डर
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मन -एक ही तरफ जाने की सामर्थ्य
१धैर्य,२ तर्क वितर्क ३ स्मरण ४ भ्रान्ति ५ कल्पना
६ क्षमा ७ शुभ अशुभ संकल्प ८ चंचलता
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बुद्धि- व्याख्या करके निर्णय लेने की शक्ति
( ३दोष +३ गुणों की उत्पत्ति )
५ वृत्तियाँ
प्रमाण + विपर्यय + विकल्प + निद्रा + स्मृति
| | | | |प्रत्यक्ष काअनुमान,मिथ्याज्ञान,भेदअभेद ,अभाव,स्मरण
रस्सी मे सर्प, पानी से जलना,
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चित्त – चेतना का वह अंश जो ज्ञान से जुड़ा है
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अहंकार ( ईच्छा) सत + रज + तम
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ज्ञान शक्ति, असंतोष ,अविवेक
वैराग्य, पश्चाताप ,मोह
स्वाभिमान, शोक, प्रमाद
तप+ सत्य , लोभ, स्वप्न
धैर्य+ स्वच्छता, काम+क्रोध,अभिमान+विषाद
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पंचतत्व, १- पृथ्वी- स्थिरता, भारीपन, कड़ापन,बीज को
अंकुरित करने की शक्ति, गंध,विशालता, धारणशक्ति।
२-जल- रस,शीतलता, क्लेद,स्नेह, गलना।
३- अग्न- पकाना, प्रकाश देना ,हल्कापन
४- आकाश- प्राण, बल,क्रिया शक्ति, चलना
५-वायु- शब्द, व्यापकता, छिद्र, स्वाधार,
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पंच तंमात्राए:-
१- गंध- सुगंध, दुर्गंध, मधुर, अम्ल,कटु,निहोरी, मिश्रित, स्निग्ध, रुक्ष,विषद ।
२- रस- मीठा, खट्टा, कटु,तीता,कसैला, नमकीन।
३- रुप- सफेद, काला,लाल,पीला, नीला।छोटा,मोटा,बड़ा, गोल,चौकौर इत्यादि।
४- शब्द – षडज,ऋषभ,गान्धार, मध्यम, पंचम,निषाद, धैवत,प्रिय अनिष्ट, क्लिष्ट।
५- स्पर्श:- रुखा,ठंडा, गरम,स्निग्ध, विशद,चिकना,
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पंच ज्ञान इंद्रियाँ= कान,आँख, जीभ,नाक,त्वचा।
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पंच कर्म इंद्रियां= हाथ,पैर,मुख,लिंग,गुदा ।
२४ के सम्मिश्रण से बना जीवात्मा।
Continue…..

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