January 29, 2019

अव्यक्त से व्यक्त की उत्पत्ति-भाग 33

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मनुष्य देह मे असीमित क्षमताएं
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इस मनुष्य देह मे असीमित क्षमताएं है― मुनिवर अगस्त्य ने विन्ध्याचल को तथा उपेंद्र ने असुरराज बलि को बाँध दिया था।
द्वापरयुग मे कुरुवंश के राजा शिखिध्वज ने १६ वर्ष तक अखिल भूमण्डल को अपनी साम्राज्य सम्पत्ति मे परिवर्तित कर दिया था।
मान्धाता ने ०१ ही दिन मे
जनमेजय ने ०३ ही दिनो मे
नाभाग ने ०७ ही दिनो मे
पृथ्वी का राज्य प्राप्त कर लिया था।
आदि गुरु शंकराचार्य ने ०८ वर्ष की अवस्था में चारों वेद एवं १२ वर्ष की अवस्था तक सब शास्त्रों मे पारंगत हो गये थे,तथा १६ वर्ष पूरे करने तक उपनिषद, वेदान्त गीता पर भाष्य लिख डाले थे।
भगवान श्रीकृष्ण ने ६४ दिन रात मे शिक्षा, कल्प,वेदान्त आदि ६४ क्षेत्रों मे विशेषज्ञ हो गए थे. भगवान श्रीराम के बारे मे”अल्पकाल विद्या सब पाई ” सभी जानते है।
ध्रुव ने तो पाँच-छः वर्ष की अवस्था मे कुछ दिनों की तपस्या से ही भगवान को प्रसन्न करके उनका परमपद प्राप्त कर लिया।

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