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” शुरुआत से आप तक “
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श्री नारायण
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चित्त रजोगुणी
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सूक्ष्म तत्व ( नाभि से )
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कमल रुप
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ब्रह्मा जी
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कमल,जल,आकाश, वायु,स्वयं का शरीर
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१०० दिव्य वर्षों तक तप ब्रह्मा जी
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तप + योग―वायु, जल को पी लिया
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स्थित कमल के तीन भाग
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भू,भुवः, स्वः
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१-पहले-पहल असावधानी हो जाने से तमोगुणी सृष्टि का आविर्भाव
अज्ञान की पाँच वृत्ति ( अविद्या )
तम ( अज्ञान )
मोह ( अस्मिता )
महामोह ( भोगेच्छा )
तामिस्र ( क्रोध )
अंधतामिस्र ( अभिनिवेश=मृत्यु का डर )
२- दूसरी बार मन को पवित्र कर भगवान मे ध्यान कर दूसरी बार प्रथम मानस.पुत्र
सनक,सनंदन,सनातन, सनतकुमार
चारो ने जन्म से ही मोक्ष मार्ग का अनुशरण किया
पुत्रों की अवज्ञा से ब्रह्मा जी क्रोधित
३- तीसरी बार ११ रुद्र पैदा हुए
1-मन्यु + धी (मन्यु की पत्नी ) = हृदय ( मन्यु का पुत्र)
2-मनु + वृत्ति (मनु पत्नी)= इन्द्रिय(मनु पुत्र)
3- महिनस + उशना=प्राण
4- महान +उमा=आकाश
5-शिव+नियुत”=वायु
6-ऋतध्वज+इला=अग्नि
7- उग्ररेता +अम्बिका= जल
8- भव+ इरावती =पृथ्वी
9- काल + सुधा = सूर्य
10- वामदेव + दीक्षा = चन्द्रमा
11- धृतव्रत + = तप
ब्रह्मा जी की आज्ञा से भयंकर आकार और स्वभाव वाली भूत पिशाच जैसी अनेक प्रजा उत्पन्न करने लगे।उनके वे पुत्र सारे संसार का नाश करने लगे ब्रह्मा जी ने उन्हें तप का आदेश देकर शान्त किया और पुनः संकल्प
४- चौथी सृष्टि में १० पुत्र उत्पन्न
1-मन से -मरीचि + सम्भूति ( पत्नी)―कश्यप(पुत्र )
2- नेत्रों से- अत्रि + अनुसूया― चन्द्रमा
3- मुख से-अंगिरा+ प्रीति― गुरु
4-कानों से- पुलस्त्य+ भूति― अगस्त ऋषि
5- नाभि से- पुलह + क्षमा― कोई पुत्र नहीं
6- हाथों से – कृतु +सन्तति― कोई पुत्र नहीं
7- त्वचा से – भृगु + ख्याति ― शुक्राचार्य
8- प्राणों से – वशिष्ठ + प्रसूति―
9- अँगूठे से – दक्ष + उज्जा-
10- गोद से – नारद
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सभी दस पुत्रों को निम्न लिखित ज्ञान से पूर्ण
1- वेद
2- उपवेद
3- न्याय शास्त्र
4- धर्म शास्त्र- १- विद्या, २- दान, ३- तप, ४- सत्य
5- आश्रम- १- ब्रह्मचर्य,२- गृहस्थ,३- वानप्रस्थ,४-सन्यास ।
6- ऊँ कार
सृष्टि का अधिक विस्तार न देख मनु और शतरूपा को बनाया― मनु+ शतरूपा
१- प्रियव्रत पुत्र
२- उत्तानपाद पुत्र
३- आकूति पुत्री + रुचि प्रजापति― यज्ञ,दक्षिणा
४- देवहूती पुत्री+ कर्दम ऋषि
५- प्रसूति पुत्री + दक्ष प्रजापति― २४ कन्याओं को जन्म दिया।
दक्ष प्रजापति की २४ कन्याओं के नाम व शादी
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१- श्रद्धा+ धर्म―काम+रति― हर्ष
२- लक्ष्मी + धर्म―दर्प
३- धृति + धर्म―नियम
४- तुष्टि +धर्म― संतोष
५- मेधा + धर्म – श्रुत
६- पुष्टि+ धर्म -― लोभ
७- क्रिया +धर्म ― दण्ड
८- बुद्धि + धर्म ― बोध
९- लज्जा + धर्म ― विनय
१०- वपु + धर्म ― व्यवसाय
११- शान्ति + धर्म ― क्षेम
१२- सिद्धि + धर्म ― सुख
१३- कीर्ति + धर्म ― यश
१४- ख्याति + भृगु ऋषि
१५- सती + शिव भगवान
१६-सम्भूति + मरीचि ऋषि
१७- स्मृति + अंगिरा ऋषि
१८- प्रीति + पुलस्त्य ऋषि
१९- क्षमा + पुलह ऋषि
२०- सन्तति + क्रतु ऋषि
२१- अनसुया + अत्रि ऋषि
२२- उर्ज्जा + वशिष्ठ ऋषि
२३- स्वाहा + अग्नि
२४- स्वाधि + पितरों से
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फिर ब्रह्मा जी की आज्ञा पाकर दक्ष ने मन से
देवता
ऋषि
गन्धर्व
असुर
सर्प पैदा किये, इससे भी संसार की वृद्धि नहीं हुई तो दक्ष ने मैथुन धर्म द्वारा सृष्टि रचना की सोची और असिक्नी के साथ विवाह किया और साठ कन्याओं को पैदा किया:-
1- १० कन्याओं को धर्म को।
2- १३ कन्याओं को कश्यप ऋषि को।
3- २७ कन्याओं को चन्द्रमा को।
4- ०४ कन्याओं को अरिष्टनेमी को।
5- ०२ कन्याओं बहुपुत्र को।
6- ०२ कन्याओं को अंगिरा ऋषि को।
7- ०२ कन्याओं को कृशाश्र्व देवर्षि को सौंप दी
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कश्यप ऋषि ने १३ कन्याओं से शादी कर निम्न प्रकार संसार का विस्तार किया, इसलिए कश्यप सभी का गोत्र हैं:-
१-कश्यप + अदिति की शादी से उत्पन्न ― द्वादश आदित्य- भग,अंशु, अर्यमा, मित्र,वरुण,सविता, धाता,विवस्वान, त्वष्टा, पूषा, इन्द्र,विष्णु ।
२- कश्यप + दिति― हिरण्याक्ष, और हिरण्यकशिपु
३- कश्यप + दनु ― दानवगण।
४- कश्यप + अरिष्टा ― गन्धर्व।
५- कश्यप + सुरसा ― विद्याधर।
६- कश्यप + खसा ― यक्ष,राक्षस।
७- कश्यप + सुरभि ― गौओं का जन्म।
८- कश्यप + विनता ― गरुड़ और अरुण का जन्म ( गरुड़ भगवान विष्णु के वाहन और अरुण भगवान सूर्य के सारिथि )
९- कश्यप + ताम्रा – धोड़ा, ऊट,गदहा, हाथी,गवय,मृग पैदा हुये।
१०- कश्यप + क्रोधवशा ― सभी दुष्ट जीव पैदा।
११- कश्यप + इरा ― वृक्ष,लता, वल्ली, सन ।
१२- कश्यप + कद्रू ― दंदशूक नामक महासर्प।
१३- कश्यप + मुनि ― अप्सराओं को पैदा किया।
शेष लगातार…….