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ऋतु के अनुसार और दिन मे समय अनुसार सेवन योग्य फल एवं तथा पदार्थ।
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सम्पूर्ण दिन रात को वात,पित्त और कफ के समय पीरियड मे बाँटा गया है। यदि सम्बन्धित और सेवन योग्य पदार्थ का सेवन करेंगे तो बल,शक्ति और उर्जा मिलेगी पर यदि विपरीत सेवन करेंगे तो बिमार होगें। जैसे पित्त पीरियड मे पित्त से सम्बंधित फल न खाये, यदि खायेंगे तो पित्त वृद्धि से जी मिचलाना, बुखार उल्टी आदि हो सकती है।
कच्चा आँवला खाएं चैत्र मे,अरु बैसाख करेला।
ज्येष्ठ मास में दाख लीजिये, अरु आषाढ़ मे केला।
सावन में हलका आहार, भादों दिन में ब्यालू।
क्वाँर में मक्खन कार्तिक दूध,अगहन में आलू।
पूस मास में खाएँ बाजरा, और माघ रतालू खाएं
फागुन में घी शक्कर लेकर, उत्तम स्वास्थ्य बनाएँ।
इसी प्रकार अब दिन का विभाजन है कि सुबह 10:00am- 02:00pm के बीच पित्त का पीरियड है अतः सेब,नारियल, खजूर,अंजीर, अंगूर,आम, खरबूजा, संतरा, आनानास,बेर,अनार ,किशमिश ,तरबूज खा सकते हैं।लेकिन केले, जामुन, चेरी, ग्रीन अंगूर, पपीता, स्टाबेरीज नहीं खा सकते।
दिन में 02:00pm- 06:00pm के बीच वात का पीरियड है इसमें आप पका सेव, केले, जामुन, चेरी, नारियल, अंजीर, अंगूर, निम्बू, आम,खरबूजा, संतरा, पपीता, अनानास आदि खा सकते हैं। परन्तु कच्चा सेब,अनार,तरबूज खाना मना है।
शाम को 06:00 – 10:00 pm कफ का पीरियड है जिसमें सेब, जामुन, चेरी, अंजीर, आम,अनार,आलूबुखारा, किशमिश खा सकते हैं। पर केले, नारियल, खजूर,अंगूर,खरबूजे, संतरा, पपीता, अनानास, बेर नहीं खा सकते।
चैत्र में गुड़,बैसाख में तेल,जेठ में महुआ ,अषाढ़े बेल।
सावन दूध,न भादों मही,क्वाँर करेला, कार्तिक दही।
अगहन जीरा, पूस धना, माघ में मिश्री, फागुन चना।
इनका परहेज करें नहीं, मरे नहीं तो पड़े सही।
अर्थात नहीं मानोगे तो बीमार अवश्य होगें।
अतः ऋतु आहार और दिन आहार का पालन करें।