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कर्म अनेक फल एक जैसे:- (१) खेत मे अन्न उत्पन्न करना है तो हमें घासफूस निकालना ,बोनी, सींचना,खाद देना, रक्षा करना आदि अनेक प्रकार के कर्म करने पड़ते हैं जिसका एक ही फल मिलता है।
(२) अभीष्ट की इच्छा पूर्ति के लिए हमें ग्रह शांति, देव पूजन, जप पाठ आदि अनेक प्रकार के कर्म करने होते हैं।
(३) योग समाधि के लिए भी हमें यम, नियम,आसन, प्राणायाम मुद्रा, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान आदि कर्म करने पड़ते हैं।
यहां कर्म अनेक पर फल एक मिलता है।
अब इसका विपरीत अर्थात एक कर्म के अनेक फल जैसे (१) स्नान – (अ) स्नान करने से शरीर स्वच्छ होता है (ब) मन प्रसन्न होता है।(स) स्नान करने से हमें पूजा पाठ की योग्यता भी मिलती है।
(२) सच बोलना से:- (अ) पाप से बचता है।(ब) समाज में आदर्श स्थापित करता है। (स) मन शान्त और निर्भय होता है ।
अतः हम कर्म एक करते हैं और फल अनेक मिलता है ।
कर्मफल (भाग 7 )
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कर्म अनेक फल एक जैसे:- (१) खेत मे अन्न उत्पन्न करना है तो हमें घासफूस निकालना ,बोनी, सींचना,खाद देना, रक्षा करना आदि अनेक प्रकार के कर्म करने पड़ते हैं जिसका एक ही फल मिलता है।
(२) अभीष्ट की इच्छा पूर्ति के लिए हमें ग्रह शांति, देव पूजन, जप पाठ आदि अनेक प्रकार के कर्म करने होते हैं।
(३) योग समाधि के लिए भी हमें यम, नियम,आसन, प्राणायाम मुद्रा, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान आदि कर्म करने पड़ते हैं।
यहां कर्म अनेक पर फल एक मिलता है।
अब इसका विपरीत अर्थात एक कर्म के अनेक फल जैसे (१) स्नान – (अ) स्नान करने से शरीर स्वच्छ होता है (ब) मन प्रसन्न होता है।(स) स्नान करने से हमें पूजा पाठ की योग्यता भी मिलती है।
(२) सच बोलना से:- (अ) पाप से बचता है।(ब) समाज में आदर्श स्थापित करता है। (स) मन शान्त और निर्भय होता है ।
अतः हम कर्म एक करते हैं और फल अनेक मिलता है ।