490 total views, 3 views today

“कार्यालय प्रबंधन“
वास्तु शास्त्र- भाग 5
###############
प्रबंधन का मूल उद्देश्य -कर्मचारियों से निष्ठा पूर्वक व पूरा कार्य लिया जाना तथा इसके साथ ही साथ अधिकारी का नियंत्रण कर्मचारियों पर बना रहे होता है।
१- अतः स्वामी, मेनेजिंग डायरेक्टर, चीफ एक्जीक्यूटिव आफिसर को दक्षिण दिशा में तथा उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
२- वायव्य कोण मे बैठनेवाले प्रायः थोड़े समय बाद उनका मन उचट जाता है अर्थात उनके मन मे उच्चाटन की भावना पैदा होती है अतः यहां गेस्टहाउस बना सकते हैं।या ऐसी कन्याएँ जो विवाह योग्य हो गई हो लेकिन विवाह न हो रहा हो उनका रहने का कमरा वायव्य कोण में कर दे।
3- जिन कर्मचारियों को दिमागी कार्य करना है जैसे शोधकार्य और नवीन योजनाएं बनाने वाले कर्मचारियों को अग्नि कोण मे बैठाये। टैस्टिंग लेबोरेटरी भी यहां बनाई जा सकती है।
4- ईशान कोण में वरिष्ठ अधिकारी न बैठें यहां कनिष्ठ अधिकारियों को पूर्वाभिमुख होकर बैठाएं
5- भारी भरकम अलमारियों को या रैक्स को नैऋत्य कोण मे रखें।
6- नैऋत्य कोण में बैठने वाला कैशियर आलसी हो जाता है उसे उत्तर दिशा में बैठाये।
7- किसी भी कार्यालय मे मुख्य प्रभारी/अधिकारी ऐसी स्थिति में नहीं बैठा होना चाहिए जिसमें बाहर से आने वाले व्यक्ति सीधा उसी से सम्पर्क करें।
8- कम प्रतिभा शाली लोगों को पहले पश्चिम दिशा में बैठाकर काम लें फिर दक्षिण दिशा में बैठाये।