
क्यों होता है विवाह विच्छेद या तलाक ?
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वर वधु का साहचर्य सनातन है। यह संबंध शब्द और अर्थ की भांति अविच्छेद और अन्योन्याश्रित है। सप्तम भाव, द्वितीय भाव, इनके स्वामी और कारक शुक्र के निरीक्षण से वैवाहिक विघटन का पूर्व ज्ञान होता है, परन्तु यह अत्यंत जटिल कार्य है। कारण यह हैं कि अनेक दम्पत्ति एक दूसरे से घोर असंतुष्ट रहते हैं और संताप को आजीवन सहते रहते हैं, जबकि कुछ दम्पत्ति सामान्य कारण रहने पर न्यायालय पहुंच जाते हैं। फिर भी निम्न कारणों से विवाह विच्छेद देखा गया है:-
१-सप्तमेश द्वादश भाव मे हो, और राहु लग्नस्थ हो।
२- सप्तम भाव मे राहु, द्वादशेश के साथ हो।
३- सप्तमेश और द्वादशेश की युति दशम भाव में हो।
४- सप्तमेश द्वादश भाव में, और द्वादशेश सप्तम भाव में, एवं किसी से राहु का संबंध हो जाये तो विवाह विच्छेद हो जाता है।
५- पंचम भाव मे द्वादशेश, सप्तमेश राहु केतु के साथ सप्तम भाव में हो।
६- मंगल, शनि की राशि में जन्म हो, लग्न मे शुक्र बैठा हो, और सप्तम भाव पापाक्रांत हो ,तो पत्नी उसका परित्याग कर देती है।
७- सप्तम भाव मे शुक्र, चन्द्र पाप दृष्ट हो।
८- लग्न मे राहु और शनि हो तो लोगों की बात मे आकर अपनी पत्नी को छोड़ देते हैं।
१०- सप्तमेश, षष्ठेश छठे भाव में हो , या इनकी युति शुक्र से हो तो संघर्ष के बाद तलाक।
११- यदि षष्ठेश का संबंध दूसरे, सातवें भाव, या इनके स्वामियों से, या शुक्र से हो तो दाम्पत्य आनंद बाधित होता है।
१२- वक्री और पापाक्रांत सप्तमाधिपति हो तो फलतः तलाक होता है।