January 22, 2019

चौंसठ कलाएँ

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भगवान कृष्ण की अलाह्ददिनी शक्ति वृत्ति की चौंसठ कलाएँ हैं।
१-गीत
२- वाद्य
३- नृत्य
४- नाट्य
५- आलेख्य
६- कच्छेद्य-रंगों से शरीर पर शृंगार की कला।
७- चावल-फूलों से अल्पना बनाने की कला।
८- पुष्पास्तरण-फूलो की सेज बनाना।
९- दांत तथा वस्त्र साफ करने,एवं शरीर पर मिश्रण लगाना।
१०-मणियों का आधार बनाने की कला।
११- शैय्या बनाइ की कला।
१२-पानी मे संगीत बजाने की कला।
१३-पानी उलीचने की कला।
१४- रंगों को मिलाने की कला।
१५- माला गूंथने की कला।
१६- सिर पर मुकुट लगाने की कला।
१७-विश्राम गृह सजाने की कला।
१८-कनपटी को सजाने की कला।
१९-इत्र लगाने की कला।
२०- आभूषणों को पहनने की कला।
२१- जादू दिखाने की कला।
२२-कौचुमार- एक प्रकार की कला।
२३-हाथों की मुद्राएं बनाने की कला।
२४-स्वादिष्ट भोजन बनाने की कला।
२५- लाल रंग से शर्बत बनाने की कला।
२६- बुनाई कढ़ाई की कला।
२७- धागों से खेलने की कला।
२८- वीणा और डमरू बजाने की कला।
२९- पहेलियां जताने की कला।
३०- अकाट्य भाषा बोलने की कला।
३१- पुस्तक पढ़ने की कला।
३२- लघु नाटक खेलने की कला।
३३- कठिन श्लोकों का समाधान करने की कला।
३४- ढाल, लाठी, तथा तीर बनाने की कला।
३५- सूत कातने की कला।
३६- बढ़ईगिरी की कला।
३७- यांत्रिकी की कला।
३८- रत्नों के परिक्षण की कला।
३९-धातु बनाने की कला।
४०- मणियाँ बनाने की कला।
४१-खनिजों की कला।
४२- जड़ीबूटी से ईलाज करने की कला।
४३-भेडों और मुर्गे को लड़ाने की कला।
४४- नर मादा तोतों का पालन एवं बातचीत सिखाना
४५- गंध चिकित्सा।
४६- बाल बनाने की कला।
४७- अक्षरों और अंगुलियों से बात करने की कला।
४८-विदेशी भाषा की कला।
४९- प्रांतीय भाषाओं की कला।
५०- भविष्यवाणी करने की कला।
५१- मिस्त्री की कला।
५२- ताबीजों के प्रयोग की कला।
५३- कथोपकथन करने की कला।
५४- मन की कविता रचने की कला।
५५- औषधि बनाने की कला।
५६- धर्म स्थान मंदिर आदि बनाने की कला।
५७-छंदों को जानने की कला।
५८- वस्त्रों को छुपाने की कला।
५९- जुआ खेलने की कला।
६०- पाँसा खेलने की कला।
६१- बच्चों के खिलोने का उपयोग करने की कला।
६२- अनुशासन लागू करने की कला।
६३- विजय पाने की कला।
६४- वैतालिक विद्या-संगीत से नींद से उठाने की कला।

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