
आजन्म हमने पाप किया, अनुचरों तथा वंश भर से पाप कराया, पाप की सीमा हम लोगों ने तोड़ दी,यदि हम भजन करना चाहते तो अनेक जन्मों मे भी मुक्ति सम्भव नहीं थी ।
इसलिए जब भाई खर दूषण का वध हुआ तो मैं समझ गया कदाचित भगवान ही है।
क्यों न सबको परम धामका अधिकारी बना दूं , इसलिये मैंने सीता का हरण किया । मैं अपने मन्तव्य मे सफल रहा ।
लक्ष्मण जब तुम वहां परम धाम मे आओगे ,मै अपने वंश समेत तुम्हें वहां मिलूंगा जहां राम का धाम है।
हमने लोक मे समृद्ध जीवन भोगा दुनिया की छाती पर पाँव रखकर चला और अब राम का धाम ?
लक्ष्मण मेरे कुल का भी मूलोच्छेद कोई नहीं कर सकता मेरा वंश अक्षय है। हमने अपने वंश की सुरक्षा के लिए पहले ही विभीषण को राम की शरण मे भेज दिया था।