January 16, 2019

ज्योतिष जानिए-भाग 5

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तिथि :-
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चन्द्रमा जब सूर्य से १२ डिग्री आगे पहुंचता है, तब एक तिथि पूरी होती है।
चन्द्रमा की एक कला को तिथि कहते है, बोलचाल की भाषा में तिथि को मिति कहते है।
तिथि हमेशा 24 घन्टे की ही नहीं होती उसमें वृद्धि तथा क्षयकी प्रक्रिया भी चलती रहती है, जिसके कारण कभी कभी एक तिथि दो वारो की हो जाती है तो कभी कभी एक तिथि का क्षय भी हो जाता है। यह स्थिति नक्षत्र, एवं योगो के कारण होती है। मुख्य कारण यह है कि तारीख तथा वार आदि की गणना सौर मास से की जाती है सौरमास २४ घण्टे का होता है, परन्तु तिथियों की गणना चन्द्रमास के आधार पर की जाती है।
सौर दिन = 24 घन्टे।
चन्द्र दिन = 24 घंटा 54 मिनट
इस प्रकार 54 मिनट = 54 मिनट का अंतर अर्थात 2.25 घटी का अंतर चलता रहता है, इस अंतर से
चन्द्र मास = 27.5 दिन।
सौर मास = 30 दिन।
चन्द्र वर्ष = 354 दिन
सौर वर्ष = 365.25 दिन।
सूर्य तथा चन्द्रमा के दिन मासो मे यह अंतर रहने से ही तिथि, नक्षत्र , एवं योग चट बढ़ होती रहतीं हैं।
तिथियों की कुल संख्या 30 मानी गई है।
शुक्ल पक्ष की अन्तिम तिथि अर्थात पन्द्रहवीं तिथि को पूर्णिमा, एवं कृष्ण पक्ष की अन्तिम तिथि को अमावस्या कहते है।
तिथियों की गणना शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से होती है
जब सूर्य और चन्द्रमा की दूरी का अंतर
000-012 डिग्री प्रतिपदा स्वामी अग्नि- सिद्धिदात्री
012-024 डिग्री द्वितीया स्वामी ब्रह्मा- कार्य सिद्धि
024-036 डिग्री तृतीया स्वामी गौरी- अरोग्य दायक
036-048डिग्री चतुर्थी स्वामी गणेश- हानि कारक
048-060 डिग्री पंचमी स्वामी शेष -शुभदात्री
060-072 डिग्री षष्ठी स्वामी कार्तिकेय- अशुभ
072-084 डिग्री सप्तमी स्वामी सूर्य -शुभ
084-096 डिग्री अष्टमी स्वामी शिव – रोगनाशक
096- 108 डिग्री नवमी स्वामी दुर्गा – मृत्यु कारक
018-120 डिग्री दशमी स्वामी काल / धनदात्री
120-132 डिग्री एकादशी स्वामी विश्वदेव -शुभ
132-144डिग्री द्वादशी स्वामी विष्णु – शुभ
144-156 डिग्री त्रयोदशी स्वामी काम – शुभ
156- 168 डिग्री चतुर्दशी स्वामी – उग्रफल
168-180 डिग्री पूर्णिमा स्वामी चन्द्रमा -पुष्टिदायी।
180- 168 डिग्री प्रतिपदा कृष्ण पक्ष
168-156 डिग्री द्वितीया
156-144 डिग्री तृतीया
144-132 डिग्री चतुर्थी
132-120 डिग्री पंचमी
120-108 डिग्री षष्ठी
108- 96 डिग्री सप्तमी
96-84 डिग्री अष्टमी
84-72 डिग्री नवमी
72-60 डिग्री दशमी
60-48 डिग्री एकादशी
48-36 डिग्री द्वादशी
36-24 डिग्री त्रयोदशी
24-12 डिग्री चतुर्दशी
12-00 डिग्री अमावस्या।
पंचांगों मे कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से मास का आरम्भ किया जाता है, तथा पंचांग मे तिथि के आगे घटी/पल तिथि का समाप्ति काल दिया जाता है।
क्षय तिथि :-
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जो तिथि एक सूर्योदय के बाद से शुरु होती है और अगले सूर्योदय के पूर्व ही समाप्त हो जाती है उसे क्षय तिथि कहते है।
वृद्धि तिथि :-
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जो तिथि दो सूर्योदय समयो मे रहती है उसे वृद्धि तिथि कहते है।

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