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ब्रह्म पुराण के अनुसार :-
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चैत्र शुक्ल प्रतिपदा रविवार के दिन प्रातः सूर्योदय के समय ,जब सभी ग्रह अश्विनी नक्षत्र तथा मेष राशि के आदि में थे, तभी ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि को प्रकट किया, तथा ठीक उसी समय से सभी ग्रहों ने अपनी अपनी कक्षाओं मे भ्रमण भी आरम्भ किया जिसके फलस्वरूप ~तिथि√
वार/दिन√
पक्ष ( शुक्लपक्ष/कृष्णपक्ष)√
मास√
ऋतु√
अयन ( उत्तरायन/ दक्षिणायन )√
वर्ष√
युग√
मन्वन्तर√
आदि प्रारम्भ हुए।
सिद्धांत शिरोमणि ग्रंथ के अनुसार :-
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सर्व प्रथम लंका मे सूर्योदय हुआ और उस दिन का नाम रविवार पड़ा, उसी दिन मेष राशि के प्रारम्भ मे अर्थात ” विषुवत रेखा” पर सायन तथा निरयन दोनों प्रकार के ग्रहों का उदय हुआ तथा चैत्र आदि मास वर्ष, युग आदि प्रारम्भ हुये।