
अयन :-
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पृथ्वी अपनी घुरी पर भी 26डिग्री 28 अंश 52 कला झुकी हुई है, इसके कारण उसकी गति के मघ्य मे उसका विषुवत दो स्थानों क्रांतिवृत को काटता है ,जिससे अयन बनते हैं।
क्रमशः छः राशियों मे सूर्य के राशि भोगकल को अयन कहते हैं यह दो होते है।
१- दक्षिणायन :-
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कर्क संक्रांति से धनु संक्रांति तक सूर्य के राशि भोग काल को दक्षिणायन कहते है।
२- उत्तरायण :-
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मकर संक्रांति से मिथुन संक्रांति तक सूर्य के राशि भोग काल को उत्तरायण कहते हैं।