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योग :-
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अश्विनी नक्षत्र के आरम्भ से सूर्य और चन्द्र दोनों मिलकर 800 कला आगे चल चुकते है ,तब एक योग बीतता है।
इस प्रकार 12 राशियों मे 21600 कलाएं होती हैं अतः
21600÷800= 27 योग होते हैं।
१- विष्कुंभ योग – यम
२- प्रीति योग – विष्णु
३-आयुष्मान योग – चन्द्रमा
४- सौभाग्य योग – ब्रह्मा
५- शोभन योग – बृहस्पति
६- अतिगण्ड योग- चन्द्रमा
७- सुकर्मा योग – इन्द्र
८- धृति योग- जल
९- शूल योग – सर्प
१०- गण्ड योग- अग्नि
११- वृद्धि योग- सूर्य
१२- ध्रुव योग- भूति
१३- व्याध्रात योग-वायु
१४- हर्षण योग- भग
१५- बज्र योग- वरुण
१६- सिद्धि योग-गणेश
१७- व्यतीपात योग- रुद्र
१८- वरीयान योग- कुबेर
१९ -परिध योग- विश्वकर्मा
२०- शिव योग-मित्र
२१- सिद्ध योग-कार्तिकेय
२२- साध्य योग- सावित्री
२३- शुभ योग-लक्ष्मी
२४- शुक्ल योग-पार्वती
२५- ब्रह्मा योग -अश्वनीकुमारों
२६-ऐन्द्र योग-पितर
२७- वैधृति योग -दिति
योगों के नाम के सामने उनके स्वामियों के नाम लिखे हैं।