
करण :-
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तिथि के आधे भाग (१/२) को करण कहते है।
कुल ११ करण होते हैं, सात चर करण, चार स्थिर करण होते हैं गणना निम्नलिखित क्रम से करनी चाहिए
चर करण :-
१-बव करण
२-बालव करण
३- कौलव करण
४- तैत्तिल करण
५- गर करण
६-वणिज करण
७- विष्टि करण ( भद्रा )
स्थिर करण :-
८-शकुनि करण(कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को उत्तरार्ध मे)
९- चतुष्पद (अमावस्या को पूर्वाद्ध में)
१०- नाग (उत्तरार्ध मे )
११- किंस्तुघ्न ( शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को )
ध्यान रहे कि तिथि के अर्धभाग को करण कहते है, इस प्रकार एक तिथि में दो करण होते हैं। पहला पूर्वार्द्ध मे और दूसरा उत्तरार्ध में।