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कालसर्प योग कारण और निवारण
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प्रकृति कुछ कहना चाहती है और उसकी भाषा ग्रह,नक्षत्र, तारों के रुप मे होती है, ग्रह और नक्षत्रों से जन्म कुण्डली मे योगों का निर्माण होता है, कई बार राजयोग होने पर भी व्यक्ति को वांछित फल प्राप्त नहीं होता, तब आदमी सोचने पर मजबूर हो जाता है कि ऐसा क्यों है। इसका उत्तर वृहत पाराशर होरा शास्त्र मे मिलता है।
पाराशर जी ने बताया ऐसा शापित कुण्डलिनी मे होता है। ऐसे १४शाप हैं जिनमें प्रमुख पितृशाप, प्रेतशाप,ब्राह्मण शाप,मातुल शाप,पत्नी शाप,मातृशाप,सहोदरशाप,एवं सर्प शाप प्रमुख हैं, राहु केतु की स्थिति से कालसर्प योग बनता है, यदि राहु-केतु को बिन्दु मानकर एक रेखा खींची जाए और सभी ग्रह एक ओर हो तो कुण्डली मे काल सर्प योग बनता है। इस योग के लिए कहा गया है।
१- अग्रे वा चेत पृष्ठतो, प्रत्येक पार्श्वे भाताष्ट के राहु केत्वोनखेट योग प्रोक्ता सर्पश्च तस्मिन जीतो जीतः व्यर्थ पुयर्ति पीयात।
२- राहु-केतु मध्य सप्ते विघ्ना हा कालसर्प सारिकः सुतयासादि सकला दोषा रोगेन प्रवासे चरणं ध्रुवम।
३- कालसर्प योगस्थ विष विषाक्त जीवणे,भयावह पुनः पुनराधि शोकं योषने, रोगान्ताधिंक पूर्व जन्म कृतं पापं ब्रह्म शापात् सुतक्षयः किंचित धुव्रम।।
४- प्रेतादि वशं सुखं सौख्यं विनिश्याति भैरवाष्टक प्रयोगेन काल सर्पादि भयं विनश्यति।।
प्रभाव:-
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जातक को मेहनत का पूरा फल नहीं मिलता, आर्थिक उन्नति में तरह तलह की बाधाएं आती हैं।परिवार के सदस्यों से तालमेल नहीं रहता, बिमारियों से जातक परेशान रहता है तथा दवाओं पर बहुत खर्च करना पड़ता है। शादी होने नहीं देता, और यदि हो जाय तो संतान सुख मे बाधा और वैवाहिक जीवन में कटुता आ जाती है।
कालसर्पयोग के लक्षण :-
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सपने मे सर्प दिखना ,पानी दिखना,मंदिर दिखना, पितर दिखना, अपने आपको स्वप्न मे उड़ते देखना आदि।
निवारण :-
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ग्रहों की शान्ति के लिए उस ग्रह के अधिदेवता एवं प्रत्यधि देवता का पूजन अनिवार्य होता है ,तो कालसर्प की शान्ति लिए भी १- नव नाग देवताओं मे किसी एक नाग देवता का निवास स्थल हो।
२- कोई ज्योर्तिलिंग क्षेत्र हो।
३- पुण्य नदीं हो, सबसे अच्छा है संगम हो।
४- वट वृक्ष हो तो अति उत्तम है।
” संग में नील गंगायाम यावत गान्धर्ववती नदी।
तयोर्मध्ये स्थितो क्षिप्रा देवानां^पि दुर्लभम्।। “
अतः निवारण के लिए
१- प्रयागराज त्रिवेणी संगम
२- तिरुपति के पास स्थित काली हस्ती शिव मंदिर।
३- नासिक में
४- मथुरा कालिंदी तट.
५-केदारनाथ के पास त्रियुगोनारायण मंदिर में कालसर्प दोष की शांति होती है।
धर्म सिन्धु, निर्णय सिन्धु आदि ग्रन्थों मे सर्प द्वारा काटे हुये की अकाल मृत्यु जनित दोष,या अन्य अकाल मृत्यु की स्थिति में ही केवल नागबलि नारायण बलि क्रिया नासिक कुशावर्त घाट पर करके शाप मुक्त होने के शास्त्र वचन है।