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शकुन / शगुन विचार :-
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ज्योतिष विज्ञान के ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। इसमें भूत भविष्य के बारे में सभी कुछ ज्ञान किसी न किसी रूप में प्राप्त होता है।इसमें देश, संसार, घर ,व्यक्ति विशेष,नगर आदि पर क्या होने वाला है। ये उस समय विशेष को ध्यान में रखकर पता लगाया जाता है।
ज्योतिष पंचस्कन्द है- १-होरा।२-सिद्धान्त।३- संहिता। ४- प्रश्न। ५- शकुन।
अब हम शकुन के बारे मे जानेंगे।
शकुन :-
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संचित कर्म का फल परिपक्व होकर यात्रा के समय शुभाशुभ शकुनों का प्रतिपादन करता है, अर्थात पूर्वानुमान / पूर्वाभास की सूचना देता है। मन की शुद्धता एवं मन की निर्बलता का कारण बनता है। अतः यात्रा में मनोत्साह की उपयोगिता सर्वोपरि है।
नेवला, मछली, दर्पण, चील,चकवा, और नीलकंठ इन्हें दसों दिशाओं में कहीं भी देखना शुभ शगुन है।
अमृत,साधु,कल्पवृक्ष, अच्छे फल,सुवाहनी बात, भगवान की भक्ति ये सात सुन्दर शुभ शकुन हैं।
यात्रा आरम्भ मे बिल्लियों का युद्ध,रजस्वला स्त्री, वैश्या, अशुभ शकुन है।
शुभ शकुन :-
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यात्रा करते समय दूध से भरा बर्तन लेकर कोई सामने से आये, श्वेत, वस्त्राभूषण पहने गौर वर्ण की स्त्री, मेहतरानी, कपिला गाय, गुड़ की ढेली लिए व्यक्ति, नारियल,सुपाड़ी,ऋतुफल, मिठाई, मधु,घृत, पैठा,पुष्पमाला, पान का बीड़ा लिए व्यक्ति, गोबर, ध्वजा-पताका, श्वेत घोड़ा, अनाज, धोबी धुले कपड़ों के साथ आता हुआ, गर्जना करता सांड,चुडीवाला,बन्दर का बोलना, घन्टी का शब्द, ये शुभ शकुन है। इसके बाद भड्डरी कवि के अनुसार शुभ शकुन―
चलत समय नेउरा मिल जाय।बाम भाग चारा चखु खाय।
काग दाहिने खेत सुहाय। सफल मनोरथ समजहु भाय।।
लोमा फिर फिर दरस दिखावे।बांये से दहिने मृग आवै।
मृग बाये से दाहिने, जो आवै तत्काल।
अन धन लक्ष्मी बहु मिले,चलते प्रातःकाल।।
भड्डरी कवि यह शगुन बतावें। सगरेकाज सिद्ध होई जावे।
नारि सुहागिन जलघट लावै।दधमछली जो सनमुख आवै।
सनमुख धेनु पियावै बाछा। यही सगुन है सब ते आछा।।
अशुभ शकुन :-
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१- दिन में तारे टूट कर गिरना।
२- यात्रा करते समय खाली डलिया व बर्तन लिए व्यक्ति सामने से आये, गधा सामने से आये, भिखारी भीख मांगे,तेली सामने आए, कुत्ते कान फड़फड़ाये,बिल्ली रास्ता काटे,भैंस पर सवार कोई सामने से आए,साधु सन्यासी का आना,नौ स्त्रियां एक साथ आती दिखाई दे, तीन ब्राह्मण एक साथ हवें,दो वैश्य, एक शूद्र का सामने से आना, चिकने वस्त्र पहने व्यक्ति, भींगे वस्त्र पहिने व्यक्ति, हिजड़े का सामने आना,सर्प सामने दिख जाय, किसी का पीछे से आवाज़ देकर बुलाना, अशुभ शकुन हैं।
३- लौटने पर कोई शवयात्रा दिखे अशुभ शकुन।
४- कुत्तों का शाम को रोना।
५- मख्खी का मुहं मे आ जाना।
६- दिन या रात्रि में उल्लू का बोलना।
७- नहान के पानी में कौवा पानी पीने लगे।
८- अधिक मात्रा में लाल चीटियों का बिस्तर पर गिरना अशुभ है।
भड्डरी कवि द्वारा बताए अशुभ शकुन;
गवनन समय जो स्वान। फरफराय दे कान।
एक शूद्र दो वैश्य असार।तीन बिप्र औ क्षत्री चार।
सनमुख आवै जो नौ नार।कहै भड्डरी अशुभ बिचार।।
स्वान धनै जो अंग,अथवा लोटै भूमि पर।
तो निज कारज भंग,अतिहि कुसगुन जानिये।।
बैस पांच षट् स्वान,एक बैल एक बकरा जान।
तीनि धेनु गज सात प्रमान,चलत मिलै मति करौ पयान।
सगुन शुभाशुभ निकट हो,अथवा होवै दूर।
दूरि से दूरि,निकट से निकट,समझो फल भरपूर।
लगातार……… स्वर और छींक विचार