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ज्योतीषि मे पूर्वजन्म
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ज्योतीषि त्रिकालज्ञ है इस कारण इसलिए वर्तमान जीवन के भविष्य, इस जीवन के पूर्व जीवन के जानकारी तथा आगामी जीवन के भविष्य की जानकारी भी मिलती है।
“किस लोक मे था जातक पूर्व जन्म में”
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जन्म कुंडली में नवम,नवमेश, एवं नवम भाव में बैठे ग्रह यदि उच्च राशि मे तो जातक पूर्व जन्म मे देवलोक का निवासी था।
अपनी राशि अथवा मित्र राशि मे हो तो भारतवर्ष में,
अगर शत्रुराशि/नीच राशि में हो तो द्वीपों मे निवासी था।
” पूर्व जन्म मे कहाँ का निवासी”
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कुंडली में नवमेश का पद जिस ग्रह को प्राप्त हो उसके अनुसार क्षेत्र देखें
१-सूर्य― पर्वतीय क्षेत्र
२-चन्द्रमा― नदियों किनारे का क्षेत्र।
३―मंगल ―बिहार प्रदेश।
४-―बुध―तीर्थ स्थान मे।
५―गुरू―आर्यावर्त।
६―शुक्र―सिंचित भूमि
७―शनि―म्लेच्छ प्रदेश(अंग्रेजों की जगह)।
“पूर्व जन्म मे किस दिशा मे जातक था”
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जन्मकुंडली में नवम भाव में स्थित राशि की दिशा में जातक पूर्व जन्म मे था:-
१-मेष,सिंह,धनु―पूर्व दिशा।
२-वृषभ,कन्या, मकर―दक्षिण दिशा।
३-मिथुन, तुला,कुम्भ―पश्चिम।
४―कर्क,वृश्चिक, मीन―उत्तर दिशा।
“पूर्व जन्म मे किस जाति का था जातक “
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नवमेश की जो जाति है, वह पूर्व जन्म में जातक की जाति होती हैं।
१-सूर्य-क्षत्रिय
२-चन्द्र-वैश्य
३-मंगल-क्षत्रिय
४-बुध-शूद्र
५-गुरू-ब्राह्मण
६-शुक्र-ब्राह्मण
७-शनि-म्लेच्छ (अंग्रेज)