April 30, 2019

नीलम रत्न

 1,451 total views,  3 views today

www.astrologymission.com

नीलम ( Sapphire )
*******************
नीलम रत्न बहुत प्रसिद्ध है। यह नीले रंग का, स्निग्ध, श्लक्ष्ण,,षडकोण आकृति का होता है। यह जम्मू, दक्षिण भारत, थाईलैंड, श्रीलंका,म्यांमार मे प्राप्त होता है। इसे अरबी में याकूतकबूद तथा फारसी में याकूतस्यात कहते हैं।

शुद्ध नीलम की पहचान
################
जो नीलम एक सी छाया वाला हो तथा जिसमें अन्य वस्तु का प्रतिबिंब न बनता हो,भारी, स्निग्ध, पिण्डाकृति,मृदु,तथा दीप्त तेज वाला हो। इन सात लक्षणों से युक्त नीलम श्रेष्ठ होता है।
एकच्छायं गुरुं स्निग्धं स्वच्छं पिण्डित विग्रहम्।
मृदुमध्ये लस ज्योतिः सप्त धा नीलमुत्तमम्।।
इसी प्रकार उत्तम नीलम में फेरुठक्कुर ने गुरुता,एकवर्णता, सुस्निग्धता,कोमल,नीलवर्ण की चमक इन पाँच गुणों को बताते हुए कहा है कि ऐसे नीलम को धारण करने से शनि का कोप शांत हो जाता है।
गरुयं तह य सुरंगं, सुसणिद्धं कोमलं सुरंजणयं।
इय पंच गुणं नीलं धरंती सणिकोवुप संमन्ति।।

नीलम का रासायनिक संगठन ― यह Aluminium, Chromium,रिटोनिमय तथा स्फुट्क का यौगिक है।

नीलम के औषधीय गुण ― नीलम बल्य,रसायन त्रिदोषघ्न,हृद्यदीपन,वाजीकरण होता है। यह दुर्बलता, हृदयरोग, बवासीर, खाँसी, श्वास तथा कुष्ठादि मे लाभ करता है।
श्वास कासहरं वृष्यं त्रिदोषघ्नं सुदीपनं।
विषम ज्वर दुर्नाभ पापघ्नं नीलमीरितम्।।
शनि जन्य रोग :-
**************
आमवात, वात रक्त, संधिवात, वायुगोला, नपुंसकता, उदरशूल, शस्त्रकर्म, कैंसर, विषविकार, यक्ष्मा,सर्पदंश, पक्षाघात, कृमिरोग, कंपवात,मूर्छा, यकृतोदर,प्लीहोदर आदि हैं।

नीलम प्रयोग की ज्योतिषीय स्थितियाँ :-
********************************
१- शनि की साढेसाती या ढैय्या होने पर।
२- कुण्डली मे नीच का शनि होने पर।
३- शनि मंगल की युति लग्न,पंचम,या नवम मे होने पर।
४- शनि क युति केन्द्र में राहु तथा शुक्र के साथ होने पर।
५- शनि अशुभ हो मंगल की दशा हो।
६- कर्क या वृश्चिक राशिगत शनि लग्न,तृतीय, पंचम,या सप्तम में हो।
इस प्रकार की परिस्थितियों में नीलम को धारण करना चाहिए।

धारण करने की विधि :-
*******************************
जब शनिवार के दीन शतभिषा नक्षत्र पड़े तब प्रातःकाल शनि की होरा मे चाँदी या लोहे की अंगूठी मे 3 रत्ती या 10-11 रत्ती का शुद्ध नीलम जड़वाकर ऊँ शं शनैश्र्चरायनमः मंत्र से अभिमंत्रित कर मध्यमा अंगुली मे धारण करना चाहिए।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *