January 23, 2020

माया दर्शन-भाग 4

 437 total views,  5 views today

माया दर्शन-भाग 4
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
एक बार ब्रह्मा के मन में अहंकार उत्पन्न हो गया। उन्होंने मन में सोचा कि इस समस्त प्रकृति की पोषण क्षमता मेरे कारण है। मैं न होऊं, तो यह प्रकृति भी नहीं रहेगी। इस तरह असली स्वामी तो मैं हु। फिर यह “परमात्मा” कौन है, जिसकी पूजा तो सभी करते हैं और मुझे केवल आदर देकर टरका देते हैं। उन्होंने अपना स्थान छोड़ा और परमात्मा को ढूंढने निकल पड़े।
शीघ्र ही वे अपने ब्रह्मांड के शीर्ष छोर पर पहुंच गये और बाहर आ गये। वे चकित रह गए जब उन्होंने एक नया ब्रह्माण्ड देखा जो उनके ब्रह्मांड से हजारों गुणा विस्तृत, जिसके चारों ओर सिन्दूरी प्रकाश फैला था। वे विस्मृत होकर आगे ही बढ़े थे कि सैनिक वेश मे तीन मुख वाले अनेक ब्रह्मा वहां पहुंच गए। उन्होंने पूछताछ की ,तो ब्रह्मा ने कहा”मैं ब्रह्माण्ड का पोषण करने वाला ब्रह्मा हूं।”
यह सुनकर सैनिक हंसने लगे। उन्होंने कहा― यह पागल लगता है, इसे अपने स्वामी के पास ले चलो। वे सैनिक ब्रह्मा को पकड़ कर ऐसे दरबार मे ले गए जहां राजसिंहासन पर छः मुख वाला ब्रह्मा बैठा हुआ था। पहले वाले ब्रह्मा की बात सुनकर उसने गुस्से से गरजकर कहा-” कौन सा ब्रह्मांड मूर्ख?जिधरसे तुम आये हो,उधर कोई ब्रह्मांड नहीं हैं। हां वहा एक धूमकेतु है जो हमारे ब्रह्मांड का हिस्सा है। असली ब्रह्मा तो मैं हूं।और यह परमात्मा कौन है मैं भी उससे मिलना चाहूंगा।यह निर्णय हो जाना चाहिए कि वह अधिक शक्तिशाली है या मैं।
दोनों फिर आगे बढे ब्रह्माण्ड समाप्त होते ही नारंगी रंग का एक और ब्रह्मांड समाने था जो दूसरे ब्रह्मांड से सैकडों गुणा बड़ा था, वहां के सैनिक छः मुख वाले ब्रह्मा थे।वे उन दोनों को फिर एक दरबार में ले गये।वहां एक बारह मुख वाला ब्रह्मा राजसिंहासन पर बैठा था। फिर पहले जैसा वार्तालाप हुआ और वह ब्रह्मा भी इन पहले वाले दोनों ब्रह्मा के साथ चल पड़े। इस तरह एक पर एक ब्रह्मांड होते हुए वे सभी ब्रह्मा एक ऐसे ब्रह्मांड में जा पहुंचे जहां तीन करोड़ सिरों वाला ब्रह्मा राजसिंहासन पर बैठा था। वह उन सबकी बात सुनकर निश्छल रुप से हंस पड़ा। उसने कहा― “मेरे मन में भी एक बार यह पागलपन उत्पन्न हुआ था। बारह अरब वाले ब्रह्मा तक जाते जाते मेरी हिम्मत टूट गयीं। वापिस जाओं वत्स। इस महामाया का ओर छोर जानना असम्भव है।
फिर वे सभी लज्जित होकर अपने अपने ब्रह्मांड में लौट गये और उस परमात्मा को जानने के लिए तपस्या करने लगें।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *