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मूँगा रत्न ( Red Coral )
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मंगल ग्रह का यह रत्न समुद्र में रहने वाले एक विशेष प्राणी द्वारा निर्मित किया जाता है। इस समुद्री कीट को आधुनिक प्राणिशास्त्री Anthozoanpolypus कहते है। यह प्राणी समुद्र मे रहकर अपने गात्र से एक दूधिया स्रावित करता है, जो कि उसके शरीर के समन्तात लिपटता रहता है, कालांतर में वह सूखकर इतना कठोर हो जाता है कि समु्द्री लहरों से न तो घिसरा है और न टूटता है। यह स्पंज की तरह जहाँ उत्पन्न होता है वहीं मर जाता है। यह समुद्र में शाखाओं के रुप में 7 से 40 मीटर की गहराई तक पाया जाता है।
समुद्र में ये कीट प्रवालद्वीप (Attol ) बना लेते हैं। हिन्द महासागर के अतिरिक्त अन्य महासागरों मे भी प्रचुरता से उपलब्ध है। प्रवालशाखा तथा प्रवाल फल इन दोनों का उपयोग चिकित्सा में होता है। धारण करने के लिए केवल प्रवाल फल जिन्हें मणि कहते हैं, उनका ही उपयोग होता है।
सागर की तली में इसकी शाखाएं वृक्ष की तरह फैली रहती हैं अतः इसे विद्रुम(विशेष द्रुम) कहते हैं। इसका लैटिन नाम कोरलियमरुब्र ( Corallium Rubrum) है।
शुद्ध मूँगा के लक्षण ― जो मूँगा पकी हुई किंदूरी फल के समान रक्त वर्ण, लम्बगोल,सरल स्निग्ध तथा छिद्ररहित एवं मोटा हो, वह उत्तम होता है।
रस रत्न समुच्चय के अनुसार ―
पक्व विम्ब फलच्छायं वृत्तायतं अवक्रकम् ।
स्निग्धमव्रणकं स्थूलं प्रवालं सप्तधाशुभम्।।
दोषयुक्त मूँगा ― धारियाँ, छिद्र,धब्बे, छींटे, रुखे तथा चितकबरे विद्रुम धारण के अयोग्य होते हैं।
मूँगा के औषधीय गुण :-
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क्षय पित्तास्र कासघ्नं दीपनं पाचनं लघु ।
विष भूतादि शमनं विद्रुम नेत्ररोग नुत्।।
मंगलजनित रोग :-
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रक्त पित्त, रक्त प्रदर,श्वेतप्रदर, चर्मरोग, दद्रु,कण्डु,पामा,अर्श,कुष्ठ, अग्नि दग्ध,क्षत, व्रण,भगन्दर,नाड़ीव्रण,प्रमेह,पिडिका,विद्रधि,रक्तातिसार, अस्थिभग्न, आदि मंगल से उत्पन्न व्याधियां हैं। इनके शमन मे मूँगा रत्न उपयोगी है।
मूँगा धारण की ज्योतिषीय स्थितियाँ:-
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१- जब जन्म कुण्डली मे मंगल मिथुन,तुला राशि गत होकर न्यून अंशों का हो अथवा तृतीयेश या भाग्येश होकर शनि से दृष्ट हो।
२- शत्रुक्षेत्री या शत्रुयुक्त मंगल सूर्य से दृष्ट हो।
३- नीच का मंगल लग्न,चतुर्थ,सप्तम मे हो।
४-गोचर मे 4,8,12 स्थानों का मंगल हो तथा मंगल की महादशा मे मंगल की भुक्ति होने पर।
५- यदि जन्माक में मंगल मेष या वृश्चिक का होकर लग्न,चतुर्थ,पंचम,सप्तम,अष्टम एवं द्वादश मे से किसी मे हो।
६- जब मंगल जन्म कुण्डली में सूर्य युत हो।
मूँगा धारण विधि :-
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मंगलवार के दिन जब अश्विनी अथवा विशाखा नक्षत्र हो,तब प्रातःकाल मंगल की होरा मे अनामिका अंगुली मे ताम्र की अंगूठी मे 7 रत्ती का मूँगा धारण करना शुभ होता है अथवा जब मकरराशि का मंगल 11 से 20 डिग्री के बीच हो ,तब धारण करना चाहिए।