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“ रोग एक और उपचार अनेक “
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1- उदरशूल ( पेटदर्द )
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लक्षण – इसमें रोगी के पेट में दर्द होता है।
१- चिकित्सकीय कारण :-
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अपैण्डिसाइटिस, गैस्ट्रोटाइटस, असाइटिस, खान-पान, अल्सर, पैन्क्रियाटाइटिस, लिवर में सिरोसिस, गाल ब्लेडर स्टोन, आँतों मे अवरोध, कृमि, मानसिक कारण, वायु विकार इत्यादि कारण से पेट दर्द होता है।
२- ज्योतिषीय कारण :-
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1- यदि चन्द्रमा अथवा शनि षष्ठेश के साथ हो।
2- चन्द्रमा या शनि पंचम या त्रिक स्थानों मे स्थित या गोचरीय हो।
3- चन्द्रमा, शनि अथवा अन्य पाप ग्रह सिंह राशि में हो।
4- अष्टम स्थान में शनि तथा लग्न में चन्द्रमा हो।
उपचार
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१- होमियोपैथिक उपचार :-
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अपैण्डिसाइटिस– ब्रायोनिया,आर्निया, फास्फोरस आदि का प्रयोग करें।
गैस्ट्राइटिस :- आर्सएल्बम, एन्टिमटार्ट,नक्सवोमिका लाइकोपोडियम इत्यादि।
असाइटिस :- एपोसाइनम, आर्सएल्बम ।
अल्सर :- काली बाई, लाइकोपोडियम, सीपिया सोरायनस, फास्फोरस आदि।
पेन्क्रियाटाइटस :- कोनियम,आयोडियम, आयरिस, स्पोन्जिया,मर्कसोल।
सिरोसिस :- नक्सवोमिका,लाइकोपोडियम, ब्राइनिया एल्बम,चेलिडोनियम का प्रयोग करें।
गाल ब्लेडर स्टोन :- लाइकोपोडियम, चेलिडोनियम, पल्सेटिला आदि औषधियों का प्रयोग करें।
आँतों का अवरोध :- रैफनस, आर्सएल्बम, प्लबममैट आदि दवाओं का प्रयोग करें।
कृमि :- सैण्टोनाइन सिना, सल्फर।
वायु विकार :- कार्बोवेज, लाइकोपोडियम, नक्सवोमिका।
२- एलोपैथिक उपचार :-
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1- अपैण्डिसाइटिस:- एंटीबायोटिक, दर्द निवारक
2- गैस्ट्राइटिस:-लेकसेटिव।
3- असाइटिस:- डाईयूरेटिक्स, सोडियम कम करें
4- अल्सर :- ओमीप्राजोल,कोलोयड बिस्थम कम्पाउंड, सुक्रालफेट इत्यादि का प्रयोग।
5-पेन्क्रियाटाइटिस:- एण्टाएसिड्स।
6- सिरोसिस– शल्यक्रिया।
7- आँतों का अवरोध :- शल्य क्रिया।
8- गाल ब्लेडर स्टोन :- शल्य क्रिया।
9- कृमि :-डीवोर्मीकेशन।
३- आयुर्वेदिक इलाज :-
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जवाखार, जामुन का सिरका, समुद्रादि चूर्ण, शिवाक्षार, पाचक चूर्ण, शूलवर्जनी बटी, शांतिवर्धक चूर्ण।
४-तांत्रिक उपचार :-
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मंत्र जप करें-
ऊँ नमो काली कंकालिनी नदी पार बसे
इस्माइल, योगी लोहे का काटा काटि काटि
लोहे का गोला काट-काट तो शब्द साचा
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।।
५- योगासन उपचार :-
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मयूरासन, मकरासन, मत्स्येन्द्रासन, शलभासन।
६- चुम्बकीय उपचार :-
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उच्च शक्ति अथवा मध्यम शक्ति के चुम्बक को पेट पर फिराने से, तथा चुम्बकीय जल को पीने से।
७- एक्यूप्रेशर उपचार :-
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Sir, HU, Sp5, Li12, Sp12,Cv4,St15 इत्यादि बिन्दुओं पर दबाव डालने से दर्द में आराम मिलता है।
८- ज्योतिषीय उपचार :-
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चन्द्रमा और शनि के मंत्रो का जप करने से तथा कवच का पाठ करने से रोगी को लाभ मिलता है।
चन्द्र मंत्र – ऊँ आप्यायस्य समेतु ते विश्वस्सोम वृष्णियम्।
भवा वाजस्य संगथे।।
शनि मंत्र :-
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ऊँ शन्नो देवीरभिष्टयsआपो भवन्तु पीतये।
शंय्योरभिस्रवन्तु नः।।
९- रत्न उपचार :- मोती, नीलम ।
१०- यंत्र उपचार:- चन्द्रमा और शनि के यंत्र को गले मे ताबीज मे धारण करें।
इस प्रकार एक रोग के अनेक उपचार दिये गए हैं जिसमें आज उदरशूल अर्थात पेट दर्द के कारण और उपचार बताये गये है आगे क्रमशः दूसरे रोगों के भी कारण और उपचार बतायें जायेंगे।