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शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के फल( शनि धनु राशि मे विचरण ) और आप पर प्रभाव ।
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शनि की साढ़ेसाती के प्रथम चरण का प्रभाव वयक्ति के सिर, नेत्र ,और मस्तिष्क पर , द्वितीय चरण का पेट ,और वक्षस्थल पर , तृतीय चरण का प्रभाव पैरों पर पड़ता है।
यदि साढ़ेसाती स्वर्ण पाये में विराजमान हो, तो वयक्ति के स्वास्थ्य में गिरावट आती है। वह आर्थिक विपत्तियों मे फंस जाता है और कटुता उत्पन्न होती है। यदि साढ़ेसाती चांदी के पाये में एवं ताम्र पायें हो तो वयक्ति के लिए अशुभ फलकारी नहीं होती, परन्तु यदि साढ़ेसाती लोहे के पायें मे स्थापित हो ,तो वयक्ति के स्वास्थ्य में गिरावट ( रक्त और चर्मरोग) दाम्पत्य जीवन, संतान, कर्मक्षेत्र इत्यादि पर दुष्प्रभाव एवं आर्थिक संकट उत्पन्न होता है।प्रत्येक दशा में साढ़ेसाती का दुष्प्रभाव अलग अलग प्रकार का होता है।प्रथम आवृत्ति अधिक शक्तिशाली होती है, और कष्ट, पीड़ाओं, अवरोधों के अंबार लगा देती है। द्वितीय आवृत्ति अपेक्षाकृत कुछ कम कष्टकारी रहतीं है, जातक सुविधाजनक मार्ग खोज लेता है। तृतीय आवृत्ति भीषण कष्ट पहुचाती है। वयक्ति चारों ओर से स्वयं को संकट से घिरा पाता है, वयक्ति की बुद्धि-बल सभी निष्फल हो जाते हैं। साढ़ेसाती हर स्थिति में हर जातक के लिए अत्यधिक दुःखदायी नहीं होती है। यदि शनि जन्मांक में उच्च राशि में स्थिर हो, मकर कुंभ मे हो, मित्र के घर में, या मूल त्रिकोण राशि पर भ्रमण कर रहा हो, तो प्रभाव अपेक्षाकृत शुभ ही रहता है। वृषभ और तुला लग्न के व्यक्तियों मे प्रायः साढ़ेसाती का दुष्प्रभाव, अन्यों की अपेक्षा, कम ही पाया जाता है।
साढ़ेसाती का प्रथम ढैय्या मे धन का अधिक अपव्यय होता है, परिवार से दूर रहने की विवशता भी कष्ट देती है।स्वास्थ्य विशेष रुप से नेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। बुद्धि भ्रमित रहतीं है। संतान पक्ष की ओर चिंता रहती है। पूर्व निर्धारित योजनाओं मे सफलता नहीं मिलती है।
साढ़ेसाती की द्वितीय ढैय्या मे वयक्ति को अनावश्यक विवादों मे उलझता है। लक्ष्य प्राप्ति अत्यंत कठिन तथा असंभव भी हो जाती है। सुख शांति मे अनेक व्यवधान आते हैं। गृहस्थी अव्यवस्थित हो जाती है, लंबी कष्टकारक यात्राएं करनी पड़ती हैं। सामाजिक दृष्टि से अपयश हानि का सामना करना पड़ता है।
साढ़ेसाती की तृतीय ढैय्या सभी प्रकार के सुखों का नाश होता है। शारीरक रुप से दुर्बलता प्रतीत होती है। कोई कलंक, या आरोप लगने की स्थिति बन सकती है। मित्रों और रिश्तेदारों से अनबन हो जाती है। नीच प्रवृत्ति के लोगों के कारण ठगी का शिकार होना पड़ता है, तथा स्त्री और संतान कष्ट से पीड़ा होती है। वर्तमान में मकर राशि मे साढ़ेसाती का प्रथम ढैय्या, धनु राशि में साढ़ेसाती का द्वितीय ढैय्या, वृश्चिक राशि में शनि का तृतीय ढैय्या चल रहा है, कन्या राशि पर चतुर्थ स्थानस्थ ढैय्या एवं वृषभ राशि पर अष्टम स्थानस्थ ढैय्या चल रहा है।