December 30, 2018

“शालिग्राम शिलायां तु तैत्रोक्य सचराचर।मया सह महासेन ! लीनं तिष्ठति सर्वदा ।।

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“शालिग्राम शिलायां तु तैत्रोक्य सचराचर।मया सह महासेन ! लीनं तिष्ठति सर्वदा ।।
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शालिग्राम और शिवलिंग के हाथ पांव क्यों नहीं होते ?
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ईश्वर के प्रतीक चिन्ह चार प्रकार से प्रकट होते है।
१- स्वयंभू-विग्रहः- अपने आप प्रकट होने वाले ईश्वर कृत पदार्थ स्वयंभू विग्रह कहलाते हैं, जैसे- सूर्य, चंद्र, अग्नि, पृथ्वी, दिव्य नदियां इत्यादि।
२- निर्गुण निराकार विग्रह:- प्रकृति प्रदत्त निर्गुण निराकार विग्रह भगवान के निराकार निर्लेप निरंजन रुप के प्रतिनिधि माने जाते हैं। जैसे शालिग्राम ,शिवलिंग, नर्मदेश्वर, शक्ति पिंड, मिट्टी पिंड, रुद्राक्ष, सुपारी विरचित गणेश इत्यादि।
३- सगुण साकार विग्रह :- शंख-चक्र चतुर्भुज विष्णु पंचमुख शिव , सिंहवाहिनी अष्ट भुजा दुर्गा , लाक्षासिन्दूर वदन गणपति, जटाजूट गंगाधर भालचंद्र शंकर।
४- अवतार विग्रह:- धनुषधारी राम, वंशी विभूषित कृष्ण, नृसिंह रूप विष्णु, दत्तात्रेय आदि।
इनमें शिवलिंग, शालिग्राम, सुपाड़ी आदि निर्गुण निराकार का ही प्रतीक हैं अतः उनके हाथ पैर नहीं होते । शालिग्राम समस्त ब्रह्मांडभूत नारायण (विष्णु) का प्रतीक हैं।


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