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” शरीर के काले गोरे होने का कारण “
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तत्रतेजोधातुवर्णानांप्रभवःसयदागर्भोतँपत्तौअब्धातुप्रायोभवति तदागर्भगौरंकरोति। पृथ्वी धातुप्रायःकृष्णश्यामः।तोयाकाशधातुप्रायः गौरश्यामः। (समसर्वधातुप्रायः श्यामवर्णकरः )
शरीर के काले गोरे होने का कारण अग्नि धातु है। यदि गर्भाधान के समय जल धातु अधिक होय तो उस गर्भ से गौर वर्ण बालक प्रकट होय। पृथ्वी धातु अधिक होने से कृष्ण और श्याम रंग का बच्चा होगा। जल और आकाश तत्व अधिक होने से होने वाले बच्चे का रंग गौर श्याम होगा। एवं यदि सभी धातु समान हो तो श्याम वर्ण का होगा।
कृष्ण वर्ण काला, श्याम वर्ण दूब के समान जानना।
मतान्तर से ― गर्भवती जैसे जैसे स्वेत, पीत ,कृष्णादि रंग के पदार्थो का सेवन करती है उसी रंग का बालक होगा।
गर्भवती उल्टे सोने से तथा रात्रि में डोलने से उन्मत्त,और मृगी रोग वाला बालक प्रकट करेगी।
गर्भवती शोक करेगी तो अल्पायु संतान होती है।
गर्भवती बुरा सोचेगी तो दुख देने वाला पैदा करेगी
गर्भवती क्रोध करेगी तो निंदक संतान पैदा करेगी
गर्भवती मद्यपान करेगी तृषावान,व्यग्रचित्त वाला
गर्भवती मांसाहारी होगी तो पथरी, प्रमेह रोग वाला बालक पैदा करेगी।
गर्भवती यदि नित्य मिष्ट रस खाये तो बालक गूंगा
गर्भवती ज्यादा खट्टा खाये तो बालक नेत्र/कुष्ठ रोगी होगा।
गर्भवती ज्यादा नमकीन खायेगी तो संतान गुजलट, सफेद बाल ,शिरोरोग वाला बच्चा पैदा हो।
गर्भवती स्त्री कडुवा ज्यादा खाये तो निर्बल बालक पैदा करेगी।
गर्भवती यदि अत्यंत कसैले पदार्थों का सेवन करती है तो काला तथा उदावर्त रोगी बच्चा पैदा।
अंत मे यदि चरपरे पदार्थों का गर्भवती ज्यादा सेवन करती है तो बालक दुर्बल,अल्प वीर्यवान्, और जिसके संतान न हो ऐसा बालक पैदा करे।अतः गर्भवती को अपना आहार, विचार ,बहुत अच्छा होना चाहिए।