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गायन्ति देवाः किल गीतकानि, धन्यास्तुये भारत भूमि भागे ।
स्वर्गापवर्गस्य फलार्जनाय, भवन्ति भू यःपुरुषा सुरत्वात ।।
सभी लोको की अपेक्षा पृथ्वी लोक मे प्राणियों का बाहुल्य है। सभी योनियों में केवल मनुष्य ही बुद्धि परक कर्म कर सकता है – भोग और मोक्ष ।
पृथ्वी पर भी जो जीव मनुष्य रुप मेंं भारत वर्ष मे जन्म लेते है, वे सर्वश्रेष्ठ होते हैं। यहां तक कि देवता गण भी अपना कर्मफल बढ़ाने और स्वर्ग-मोक्ष की प्राप्ति के लिए भारत मे जन्म लेते है।
कर्म भूमि पृथ्वी के सिवा अन्यत्र विद्यमान नहीं, पृथ्वी पर भी सर्वत्र भोग स्थान की ही प्रधानता है, किन्तु कर्मभूमि एकमात्र भारतवर्ष है।
सिर्फ भारतवर्ष मे कर्म की उत्पत्ति भी होती है, और कर्मफल का भोग भी। परन्तु भारत के आलावा ( अन्यत्र ) भोग होता है।
अभिनव कर्म सर्वत्र उत्पन्न नहीं होता, परन्तु अन्यत्र भोग होता है, इसीलिए हिंदू अवतार सारे ही भारत वर्ष मे प्रकट हुये।