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” पदार्थ बनाने की क्षमता शब्दों में होती है, न कि उनके अर्थो मे “
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कमल ( ब्रह्माण्ड ) ,जल,आकाश,वायु, और अपना शरीर तप के बाद पराकल्पक इतिहास के साथ साथ ऐतिहासिक पदार्थों के स्वरुप, नाम और सम्बंध आदि याद आ गये। किस किस वस्तु को बनना है, उसका स्वरूप क्या है, उसका नाम क्या है, हमारे खाने पीने पहनने और स्वास्थ्य मे उपयोग आने वाले पदार्थ उनको याद आ गये लेकिन बनाने की क्षमता अभी उनमें नहीं आयी थी। क्योंकि किसी पदार्थ को बनाने की क्षमता वेद के शब्दों में होती है न कि उनके अर्थो मे।
” पुराण सर्व शास्त्राणा प्रथम ब्रह्मणा स्मतम “
इस तरह हम ब्रह्मा के मन मे उपस्थित हो चुके थे किन्तु जगत मे उत्पन्न नहीं हुऐ थे।
क्योंकि किसी वस्तु को सिर्फ शब्द ही उत्पन्न कर सकते है। बहुत तपस्या के बाद भगवान के द्वारा प्रसारित वेद नित्य स्वर, नित्य शब्द, ब्रह्मा जी को सुनाई पड़ा। अब ब्रह्मा जी मे वह शक्ति आ गयी कि शब्दों द्वारा पदार्थ का निर्माण कर सकें।