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मंगल ग्रह :-
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पुराणों में मंगल को पृथ्वी का पुत्र कहा है। पृथ्वी तथा मंगल ग्रह के वातावरण में काफी सामान्यतः है। भारतीय ज्योतिष के मतानुसार इसका व्यास १४१५ मील है।तथा यह ग्रह अपनी घुरी पर २४ घंटा १७ मिनट एवं २२ सेकंड में घूमता है। सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने में इसे लगभग २ वर्ष का समय लगता है। इसकी गति मे परिवर्तन होता रहता है।जब यह सूर्य के निकट पहुँचने को होता है, तब इसकी गति बहुत तीव्र हो जाती है, इसका रंग गहरा लाल है।
विशेष ― मंगल को कालपुरूष का ‘ पराक्रम ‘ माना गया है। ज्योतिष में इसे पुरुष ग्रह माना गया है।इसका वर्ण – लाल, जाति- क्षत्रिय, स्वरुप- क्षीण कटिवाला। कृश, आकृति- चौकौर पद- चतष्पद, गुण- तमोगुण , प्रकृति- पित्त, तत्व- अग्नि, स्वभाव- उग्रकामी, धातु-ताँबा, रस- कटु,उदय-पृष्ठभाग, अधिदेवता- षडानन, दिशा-दक्षिण, रुचि- सामवेद, अध्ययन-धनुर्विद्या, संज्ञा-पाप ग्रह, वाहन-मेष,प्रतिनिधि पशु – लाल रंग का बैल
वार – मंगलवार।
यह स्फूर्ति, साहस,पराक्रम,आत्मविश्वास, सहिष्णुता, धैर्य, दृढ़ता, बल, खतरा उठाने की शक्ति, क्रोध, घृणा, झूठ, उत्तेजना,देशप्रेम तथा शस्त्र-विद्या का अधिपति है।
लाल रंग की वस्तुओं तथा धातुओं, स्वर्ण, स्टील, ताँबा, मिट्टी, मूंगा,कृषि, शस्त्र, भूमि, रक्त स्राव, अनुशासन, दुराचरण,शत्रु, प्रशासनिक योग्यता, राजनैतिक नेतृत्व, व्यतित्व ,वैज्ञानिक अध्ययन, अनुसन्धान, चोरी, नेतृत्व, दुर्घटना, अभाव, शल्य क्रिया,युद्ध, उत्पात,अग्नि कर्म,सेना, पुलिस तथा बिजली आदि पर इसका प्रभुत्व है।
इसे अशुभ पापग्रह माना जाता है। यह पूर्व दिशा में उदय तथा पश्चिम मे अस्त होता है, इसे बल तथा पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। इसके द्वारा पेट से पीठ तक का भाग, नाक,कान,फुफ्फुस तथा शारीरक बल के बारे में विचार किया जाता है। यह जातक के जीवन पर प्रायः 28 से 32 वर्ष की आयु मे अपना प्रभाव डालता है।