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बुध ग्रह :-
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पुराणों में बुध ,चन्द्रमा का पुत्र है। भारतीय ज्योतिष मे यह सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है। छोटा होने पर भी यह बहुत चमकदार है, परन्तु सूर्य के अत्यधिक समीप रहने के कारण आकाश-मंडल मे प्रायः स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देता। यह सूर्योदय के बाद बहुत थोड़े समय तक ही दिखाई देता है। यह अपनी धुरी पर प्रायः २४ घंटे ६ मिनट मे घूमता है। सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने में इसे प्रायः ८८ दिन लगते हैं। आधुनिक खगोलशास्त्रीयों के अनुसार इस ग्रह पर किसी प्रकार का वातावरण नहीं है।
विशेष―बुध को कालपुरुष की वाणी माना जाता है। अतः यह विद्या बुद्धि का प्रतीक है। ज्योतिष मे इसे नपुंसक ग्रह माना जाता है। इसका वर्ण – दूर्वा के समान हरा,अवस्था-बाल, जाति- शूद्र(बुद्धि और मस्तिष्क से वैश्य ) आकृति-गोल, स्वभाव-मिश्र।गुण – रजोगुण, तत्व-पृथ्वी, धातु-स्वर्ण, रस-कटु ,ऋतु-शरद,दिशा-ईशान, रत्न-पन्ना, प्रतिनिधि पशु – हाथी, वार – बुधवार।
मुख्य रूप से यह व्यवसाय का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिषी,लेखक,कूटनीतिज्ञ,तार्किक, सम्पादक, प्रकाशक,अभिनेता,शिल्पी,खिलाड़ी, वैज्ञानिक, इंजीनियर, एकाउण्टेंट, तथा अन्य बुद्धिजीवी पर इसका प्रतिनिधित्व माना गया है। प्रतिभा, कला, डाक-तार, बीमा तथा तार्किक विभाग इसी के अधीन माने जाते हैं।
इसे अकेला होने पर शुभ तथा पापयुक्त होने से अशुभ माना जाता है।
यह हाथ,पाँव, त्वचा, विद्या, बुद्धि, चातुर्य, मुख,नासिका, जिव्हा तालु,नाड़ी कम्पन्न तथा रक्त हीनता का प्रतिनिधित्व करता है। इसके द्वारा आलस्य, मतिभ्रम,श्वेतकुष्ठ,सिरदर्द, गुप्त रोग,मंदाग्नि, वातविकार आदि के बारे मे विचार किया जाता है।