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ग्रह और उससे सम्बन्धित वृक्ष
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१- सूर्य :- गूलर,कनेर,कटहल,पिलखन।
२- चन्द्रमा :- जामुन, रीठा, करन्ञ,आक,कपास।
३- मंगल :- खैर, बेलपत्र, नारियल, शमी।
४- बुध :- नाग, गंगेरन, सांबर, देवदारु, महुआ।
५- गुरु :- बेलपत्र,बाँस, कैथा, शहतूत, पाह,आम।
६-शुक्र :आँवला,फालसा,कटहल,पलास,जलबेतस
७- शनि :- पीपल, बकुल, नीम।
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“ घर के पास शुभ वृक्ष “
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१- अशोक।
२- पुन्नाग।
३- मौलसिरी।
४- चंपा।
५- अर्जुन।
६- कटहल।
७- केतकी।
८- चमेली।
९- पाटल।
१०- नारियल।
११- नारियल।
१२- नागकेशर।
१३- अड़हुल।
१४- वट।
१५- सेमल।
१६- वकुल।
१७- शाल।
” घर के पास अशुभ वृक्ष “
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१- पाकर।
२- गूलर।
३- आम।
४- नीम।
५- बहेड़ा।
६- पीपल।
७- कैथा।
८- नींबू।
९- खजूर।
१०- बैर।
११- निर्गुन्डी।
१२- इमली।
१३- कदम्ब।
१४- केला।
१५- अनार।
१६-बेल।
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” आसन्नाःकण्टकिनोरिपुभयदाःक्षीरिणो^र्थनाशाय
फलिनः प्रजा क्षयकरा दारुण्यपि वर्जयेदेषाय।।”
( वृहत्संहिता ५३/१८६ )
घर के पास काँटे वाले, दूधवाले तथा फूल वाले वृक्ष स्त्री और सन्तान को हानि करने वाले हैं। यदि इन्हें काटा न जा सके तो इनके पास शुभ वृक्ष लगा दे।
काँटे वाले ― शत्रु से भय।
दूध वाले ― धन का नाश।
फल वाले ― सन्तान का नाश।
इनकी लकड़ी घर मे नहीं लगानी चाहिए।
बेर,केला,अनार,नींबु जिस घर मे लगे हो उस घर की वृद्धि नहीं।
पीपल, कदंब,केला, नींबू जिस घर हो रहने वालों की वंश वृद्धि नहीं।
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लक्ष्मी प्राप्ति हेतु– तुलसी, आंवला,।
आरोग्य हेतु ― ब्राम्ही, पलाश, अर्जुन, आंवला, सूरजमुखी।
सौभाग्य ― अशोक, अर्जुन, नारियल।
संतान ― आंवला, नीम,नागकेशर, गुड़हल,अश्वगंधा।
बुद्धि प्राप्ति हेतु ― शंखपुष्पी, पलाश, तुलसी।
सुख प्राप्ति हेतु ― नीम,कदम्ब, तुलसी।
आनंद प्राप्ति ― हरसिंगार, रातरानी, मोगरा।
उपरोक्त वृक्ष सम्बंधित विषय हेतु शुभ है।