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चिकित्सा ज्योतिष -भाग 2
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” भाव एवं मानव के विभिन्न अंग और रोग “
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१- प्रथम भाव ―शरीर, शारीरक गठन,रंग रुप,शारीरिक शक्ति, स्वभाव, आरोग्य, निद्रा, सिर,कार्य में रुचि, शैशवावस्था, ललाट,मस्तिष्क, केश,उपरोक्त अंगों से संबंधित रोग।
२- द्वितीय भाव ― चेहरा, गाल,ठोडी,नाक,जीभ,नाखून, दाँत,होठ,दायीं आँख,मृत्यु, बचपन आदि से संबंधित बिमारियां।
३-तृतीय भाव ― दायां हाथ,भुजा, दायां कान,हँसली( Collar bone), गर्दन, हँसुली(scapula),गला,तंत्रिका तंत्र,, साहस,मानसिक शक्ति, मतिभ्रम, आदि अंगों में रोग।
४- चतुर्थ भाव ― छाती, हृदय फेफड़े, मन,बुद्धिमत्ता, खाँसी, मिरगी, पागलपन, तपेदिक, निमोनिया आदि रोग।
५- पंचम भाव ― आमाशय, उदर,यकृत,किड़नी,उदर संबंधी रोग।
६- षष्ठ भाव ― आँतें, नाभि,कमर,चोट,व्रण, शत्रु से आघात, गिरना आदि ।
७- सप्तम भाव ― बस्ति,आंतरिक जननांग,प्रजनन द्रव्य, मूत्र उत्सर्जन तंत्र,याददाश्त की कमी, आयु संबंधी खतरे।
८- अष्टम भाव ― बाह्य जननांगों, अण्डकोष, गुदा,बबासीर, भगंदर,मूत्र संबंधी रोग, मृत्यु आदि।
९- नवम भाव ― कूल्हे,उरु (जांघ), टाँगों का ऊपरी भाग,Lower part of Veerendra ( कशेरुका का निचला भाग ) से संबंधित रोग।
१०- दशम भाव ― घुटने, रीढ़ की हड्डी, पीठ से संबंधित रोग।
११- एकादश भाव ― बाँया हाथ,घुटने के नीचे वाली हड्डी, पीठ से संबंधित रोग।
१२- द्वादश भाव ― बाँया नेत्र,बायाँ कंधा, पैर,ऐडी,पैर की अगुलियाँ तलवा संबंधी रोग।