February 7, 2019

ज्योतिष जानिऐ -भाग 37

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चिकित्सा ज्योतिष – भाग 3
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ग्रह एवं मानव के विभिन्न अंग और रोग
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१- सूर्य ― नेत्र,केश,सिर मस्तिष्क, चेहरा, मुख,हृदय, प्लीहा, मेरुदंड, उदर,प्राण शक्ति, रक्त, रोग प्रतिरोधक क्षमता, चेतना, नेत्ररोग,टायफाइड, केश संबंधी रोग।
२- चन्द्रमा ― शैशवावस्था, पागलपन, नींद, बलगम,अनिद्रा, सुस्ती, सर्दी के साथ ज्वर,रक्त विकार,स्त्री से परेशानी, पीलिया,, मिर्गी, प्लीहा की वृद्धि, सर्दी, शिशुजन्म, गर्भाधान, खून की कमी, भ्रूण, तपेदिक, रक्तचाप, अहारनाल,गर्भाशय, कंधे से संबंधित रोग,छाती, लार,महिलाओं के जननांगों, मूर्छा,दस्त,अतिसार, हैजा, और जलोदर आदि रोग।
३- मंगल ― सिर,माँसपेशी,वृषण,यौनशक्ति, तेज बुखार, जलन,दाह,रक्त का बहना, गर्भपात, चेचक,लू,खसरा शल्य क्रिया, महामारी, अत्यधिक प्यास,अग्नि से दुर्घटना, हड्डी टूट जाना, बिजली से पीड़ा, शत्रुओं से पीड़ा, घायल होना, प्रोस्टेट, गुदा,अस्थि ,मज्जा आदि।
४- बुध ― त्वचा, मस्तिष्क, आँतों, श्वास नली, स्वर यंत्र,बाँझपन, ध्राण शक्ति, यकृत,मानसिक रोग,चिंता, भीरुता, नेत्र रोग,हकलाहट, गले के रोग,नाक संबंधी रोग, चर्मरोग।
५- गुरु ― चर्बी, श्रवण शक्ति, चेहरे पर पीलापन, पीलिया, माँसपेशी, पेट बढना, यकृत,पैर,अत्यधिक खाना, कूल्हों, सफेद बाल, पेट मे गांठ,टायफाइड, कान के रोग।
६- शुक्र ―स्वाद,रक्ताल्पता, मूत्र विसर्जन से संबंधित रोग,प्रजनन संबंधी रोग,बाँझपन, नपुंसकता, वीर्य,यौनांग, चेहरा, ठोड़ी, गाल,आँखें, गला ,बसंत ऋतु के रोग।
७- शनि ― तंत्रिका, दाँत,पक्षाघात, चेतनाशून्य, वात रोग,दीर्घावधि रोग,कैंसर, बुढ़ापा, नपुंसकता, अर्थराइटिस, आँतों संबंधी रोग,मल त्याग मे रुकावट, पैर मे सामने की हड्डी, काला रंग,दर्द, गठिया, दमा,निराशा, चिंता, भय,थकान, मानसिक भ्रम,ऊचाँई से गिरना ,मृत्यु।
८- राहु ― कैंसर, मिस्टीरिया,पागलपन, मानसिक असंतुलन, महामारियां, शराब पीना, साइड इफेक्ट्स, दर्द, चर्मरोग, हिचकी, हृदयाघात, कुष्ठ रोग, मतिभ्रम,सर्पदंश, पैर मे दर्द/पीड़ा।
९- केतु ― घाव या व्रण,पीड़ा, मृत्यु, हैजा, ज्वर,दर्द, तपेदिक रोग आदि।
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