February 15, 2019

Medical jyotish -Part 4

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नक्षत्र और रोग
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१- अश्विनी नक्षत्र:-
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सिर एवं मस्तिष्क, सिर मे चोट,वात शूल,मूर्च्छा, मिर्गी, पक्षाघात, ब्रेन हेमरेज,मस्तिष्क ज्वर,आत्म विस्मृत, अनिद्रा ,मलेरिया।
२- भरणी नक्षत्र:-
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आँखों की रोशनी, चर्मरोग, ठंड,कंपन,सुजाक,नेत्रों के निकट चोट।
३- कृत्तिका नक्षत्र:-
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प्लेग,चेच,खसरा, अग्नि दुर्घटना, फाइलेरिया, मुहांसे, रक्त नेत्र,नेत्र सूजन,गले के रोग,टान्सिल, गर्दन मे अकड़न,फोड़े फुन्सियां, नाक मे पालिप,ट्यूमर आदि।
४- रोहिणी नक्षत्र:-
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घेंघा रोग, शीत ज्वर,ठंड,कफ,पैरों में दर्द, सिरदर्द, सूजन,कुक्षिरोग,रक्त स्राव।
५-मृगशिरा नक्षत्र :-
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मुहांसे, चेहरे पर चोट,गलेमें सूजन,दर्द गलफेड़े,कान के पीछे गांठें, नाक मे पालिपस,गलघोटू, रतिरोग,खाँसी-जुकाम, कब्जी,मल मूत्रावरोध, रक्त दोष,खुजली, साइटिका, फ्रेक्चर, कन्धों मे दर्द, गुप्तांग में रोग,
६- आर्द्रा नक्षत्र :-
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गले में खराबी, गलफेड़े, अस्थमा, सूखी खांसी, गलघोंटू, श्वास के रोग,कान के रोग।
७- पुनर्वसु नक्षत्र :-
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कान,गला,कंधा,फेफड़े, निमोनिया, प्लूरिसी, कान में सूजन,फेफडों मे कष्ट, घेंघा, क्षय रोग,रक्त विकार, कमर दर्द, ब्रोंकाइटिस, पीलिया।
८- पुष्य नक्षत्र :-
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फेफड़े, आमाशय,पसलियों, क्षय,कैंसर, पीलिया, पायरिया, गज चर्मरोग, स्कर्वी, झिल्ली, आमाशय मे छाले, पित्ताशय मे पथरी।
९- आश्लेषा नक्षत्र :-
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फेफड़े, आमाशय, भोजन नली, अग्नाशय, यकृत, वात रोग,जलशोध,अपच,घबराहट, उन्माद, स्नायु दुर्बलता, कफ रोग,उदर विकार, गुर्दो की सूजन।
१०- मघा नक्षत्र :-
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ह्रदय, पीठ,मेरुदण्ड, प्लीहा, महाधमनी, हृदयाघात, पीठदर्द, हैजा, किडनी में पथरी, मानसिक रोग।
११- पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र :-
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हृदयाघात, संतान हानि, गर्भपात, वाल्व मे खराबी, रक्त की कमी, नाड़ी दोष, टाँगों मे दर्द, टखने मे सूजन।
१२- उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र :-
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मेरुरज्जु, पीठ मे दर्द, वात विकार,प्लेग, खसरा, रक्त चाप,मानसिक रोग।
१३- हस्त नक्षत्र :-
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आँतें, स्त्रावी ग्रंथियां, एन्जाइम, गैस बनना, पेट दर्द, मन्दाग्नि, हैजा, आन्त्र ज्वर,पेचिश, श्वास रोग।
१४- चित्रा नक्षत्र :-
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उदर,यकृत,हार्निया, ऐपेंडिक्स,पेट मे घिव,टांगों मे दर्द,सर्प काटना, बहुमूत्र रोग सिरदर्द।
१५- स्वाती नक्षत्र :-
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चमड़ी, गुर्दे, मूत्र नली, मूत्राशय, हर्निया, एपेंडिक्स, कोढ़, श्वेत दाग,।
१६-विशाखा नक्षत्र :-
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पेट का निचल भाइ,मूत्राशय, गुर्दे, अग्नयाशय, मधुमेह, बेहोशी, इन्सुलिन की कमी, चक्कर आना, गर्भाशय के रोग प्रोस्टेट, मूत्र रोग,जलोदर।
१७- अनुराधा नक्षत्र :-
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मलाशय,प्रजनन अंग, गुर्दा, कब्ज,बवासीर, फ्रैक्चर, गले मे दर्द, कफ,नजला।
१८- ज्येष्ठा नक्षत्र:-
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अंडाशय, गर्भाशय, बड़ी आँत,प्रजनन अंग,मलद्वार, श्वेत प्रदर,खूनी बवासीर, रतिरोग,।
१९- मूल नक्षत्र :-
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कूल्हों, जाँघे, नितम्ब,अस्थियों,साईटिक तंत्र,कटि्वात,गठिया, कमर दर्द, श्वास रोग, घुटनों में सूजन, शीत प्रकोप, रक्त प्रदूषण, धातुक्षय।
२०- पूर्वाषाढा नक्षत्र :-
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जाँघे, कूल्हे, गठिया, कटि्वात, साईटिका, मधुमेह, प्रमेह, अफारा, फेफडों मे कैंसर, श्वास रोग, घुटनों में सूजन, शीत प्रकोप
२१- उत्तराषाढ़ा नक्षत्र :-
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जाँघे, अरु,धमनी, साईटिका, गठिया, कमर दर्द, पक्षाघात, उदृ दर्द, चर्मरोग, नेत्ररोग, श्वशन रोगकोढ़,हृदयरोग,धड़कन, पाचन असंतुलन।
२२- श्रवण नक्षत्र:-
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घुटने, चर्म,गजचर्म, कोढ़,फोड़े, गठिया, क्षय रोग, प्लूरिसी, अतिसार, संग्रहणी, फाईलेरिया।
२३- धनिष्ठा नक्षत्र :-
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घुटने की ढक्कन, घुटने की हड्डियां, टखने, पिण्डली, लंगडाकर, टाँगों का कट जाना।
२४-शतभिषा नक्षत्र:-
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पिण्डली,टाँग फ्रेक्चर, गठिया,हृदयाघात, उच्च रक्तचाप।
२५- पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र :-
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रक्त चाप,टखनों मे सूजन,दिल का आकार बढ़ जाना,पैरों में सूजन, पैरों में गा।ठे लीवर वृद्धि।
२६- उत्तराभाद्रपद नक्षत्र :-
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गठिया, पैर मे फ्रेक्चर, अपच,कब्ज,हर्निया, जलोदर,क्षयरोग,उदरवात।
२७- रेवती नक्षत्र :-
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पैरों में ऐंठन, पैरों में विकृति, आँतों के छाले, बहरापन,कानों में मवाद,गुर्दे की सूजन,थक्का जमना।

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