December 31, 2018

कर्मफल (भाग ११)

Loading

कर्म का नियम है कि जिस इन्द्रिय का आप दुरुपयोग करते है ,वह आपसे छीन ली जाती है। जो बहुत कामुक है वे अल्प काल में ही पुंसत्व खो बैठते है। बहुत देखने बालो की नेत्र ज्योति क्षीण हो जाती है। जो वाणी का दुरुपयोग करके कटुवचन बोलते है, वे गूंगे पैदा होते है, जिन्होंने बल का घमंड बताया वे निर्बल और रोगी होकर पैदा होते हैं। अतः किसी भी इंद्रियों का दुरुपयोग नहीं करें।
इस जन्म के कर्म का फल इस जीवन मे कुछ होता ही नहीं, ऐसी बात नहीं, कर्म के स्थूल अंश का स्थूल फल इसी जन्म में मिलता है। जैसे आप कहीं जाने के लिए चलते है और वहाँ पहुंच जाते हैं। आप भोजन करते है और उससे भूख मिट जाती है। आप दूध आदि पौष्टिक पदार्थ खाते हैं और इससे शरीर पुष्ट होता है। यह सब लौकिक कर्म हैं पारलौकिक फल देने वाले बनाया जा सकता है……… लगातार(क्रमशः)
कृपया पंसद आये तो टिप्पणी जरूर करें, हो सके तो शेयर भी जरूर करे ,क्या पता कोन सी बात किसके जीवन में बड़ा परिवर्तन कर दे। धन्यवाद


You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *