
कर्म विपाक संहिता और पुनर्जन्म
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पाप और पुण्य दोनों ही मनुष्य को भोगने पड़ते हैं और भोगने से ही उनके फल का नाश होता है।इसके बिना मनुष्य इनसे छुटकारा नहीं पा सकता है।
पुण्या पुण्ये हि पुरुषः पर्यावरण समुश्नुते ।
भुञ्जतश्र्च क्षयं याति पापं पुण्यमथापि वा ।।
न तु भोगादृते पुण्यं किंचिद्वा कर्म मानवम् ।
पावकं वा पुनात्याशु क्षयो भोगात् प्रजायते ।।
111 अध्यायों में विभक्त इस विशाल ग्रंथ मे पूर्व जन्म के बारे मे बताया गया है।
इसके अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म की जानकारी उसके जन्म नक्षत्र और नक्षत्र चरण से ज्ञात हो जाती है।
– >यदि व्यक्ति का जन्म अश्विनी नक्षत्र मे हुआ है, तो प्रथम चरण मे जन्म होने पर उसका पूर्वजन्म मध्य प्रदेश में ब्राह्मण के घर मानना चाहिए।
द्वितीय चरण मे जन्म होने पर उसका पूर्वजन्म अयोध्या में क्षत्रिय के घर मानना चाहिए।
तृतीय चरणमे जन्म हुआ है तो उसका पूर्वजन्म किसी वैश्य के घर मानना चाहिए तथा चतुर्थ चरण मे यदि जन्म हुआ है तो पूर्व जन्म शूद्र के घर मे मानना चाहिए।
->यदि भरणी नक्षत्र के प्रथम चरण मे जन्म हुआ है तो उसका पूर्व जन्म ब्राह्मण कुल मे हुआ था।
द्वितीय चरण मे जन्म हुआ है तो उसका पूर्व जन्म भी ब्राह्मण कुल मे हुआ था।
भरणी नक्षत्र के तृतीय चरण में जन्म लेने वाले की पूर्व जन्म काकुत्स्थ नामक नगर मे वैश्य कुल मे,
जबकि चतुर्थ चरण मे जन्म लेने वाले व्यक्ति का पूर्व जन्म अयोध्या के पास किसी स्थान पर ब्राह्मण कुल मे हुआ था।
->कृत्तिका नक्षत्र के प्रथम चरण मे जन्म लेने वाले व्यक्ति का पूर्व जन्म क्षत्रिय कुल मे पैदा हुआ था।
द्वितीय चरण मे यदि व्यक्ति का जन्म हुआ है तो पूर्व जन्म मे धनवान गुणवान पुण्यात्मा था।
तृतीय चरण में जन्म हुआ है तो व्यक्ति पूर्व जन्म में ब्राह्मण कुल मे पैदा हुआ था यहां चतुर्थ चरण मे भी वह व्यक्ति ब्राह्मण ही था।
->रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण मे जन्म हुआ है तो व्यक्ति पूर्व जन्म में ब्राह्मण होगा।
द्वितीय चरण मे जन्म लेने से व्यक्ति पूर्व जन्म में ब्राह्मण था।
तृतीय चरण में जन्म होने पर पूर्व जन्म मे कृषक था।
चतुर्थ चरण मे जन्म होने पर व्यक्ति पूर्व जन्म में ब्राह्मण था।
->मृगशिरा नक्षत्र के प्रथम चरण मे जन्म लेने वाले लोग पूर्व जन्म मे ब्राह्मण थे तथा द्वितीय चरण मे जन्म लेने वाले भी पूर्व जन्म में गरीब ब्राह्मण थे।
मृगशिरा के तृतीय चरण मे जन्म लेना वाला व्यक्ति पूर्व जन्म में धनी कुम्हार था ।
चतुर्थ चरण मे जन्म में लेने वाला व्यक्ति पूर्व जन्म में ब्राह्मण था।
->आर्द्रा नक्षत्र केप्रथम चरण मे जन्म लेने वाले व्यक्ति अपने पूर्व जन्म में कपड़ें रंगने वाला रंगरेज था।
द्वितीय चरण मे जन्म लेने वाला व्यक्ति पूर्व जन्म मे वैश्य कुल उत्पन्न हुआ था।
तृतीय चरण में जन्म लेने वाले वाला व्यक्ति पूर्व जन्म मे ब्राह्मण कुल मे था।
चतुर्थ चरण मे जन्म लेने वाले लोग अपने पूर्व जन्म मे भेड़ो एवं बकरियों का व्यवसाय करने वाला था।
->पुनर्वसु नक्षत्र के प्रथम चरण मे जन्म लेने वाले लोग पूर्व जन्म में अहीर कुल मे पैदा हुआ था।
द्वितीय चरण मे जन्म लेना वाला व्यक्ति पूर्व जन्म में स्वर्णकार था।
तृतीय चरण मे जन्म लेने वाले लोग पूर्व जन्म में कृषक था। चतुर्थ चरण मे जन्म लेनेवाला व्यक्ति पूर्व जन्म मे मल्लाह था ऐसा जानना चाहिए।
->पुष्प नक्षत्र मे प्रथम चरण मे जन्म लेने वाले व्यक्ति पूर्व जन्म में पशुपालन करने वाला एवं हलवाई था।द्वितीय चरण मे जन्म लेने वाले लोग पूर्व जन्म में शिल्पकार था।
तृतीय चरण में जन्म लेने वाले लोग पूर्व जन्म मे लुहार था।
पुष्प नक्षत्र के चतुर्थ चरण मे जन्म लेने वाले लोग पूर्व जन्म में माली कुल मे था।
->आश्लेषा नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म लेने वाले लोग अपने पूर्व जन्म में नमक बनाने का व्यवसाय करता था।
द्वितीय चरण मे जन्म लेने वाला व्यक्ति अपने पूर्व जन्म में पशुओं का व्यापार करने वाला था।
तृतीया चरण मे जन्म लेने वाला व्यक्ति पूर्व जन्म में माली कुल मे था।
आश्लेषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण मे जन्म लेने वाले व्यक्ति पूर्व मे लखनऊ का मल्लाह था,ऐसा जानना चाहिए।
->मघा नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म लेने वाला व्यक्ति अपने पूर्व जन्म में धनी व्यापारी कुल मे,
द्वितीय चरण मे जन्म लेने वाले लोग अपने पूर्व जन्म में ब्राह्मण था। तृतीय चरण में जन्म लेने वाले लोग अपने पूर्व जन्म कुम्भकार था।
चतुर्थ चरण मे जन्म लेने वाले लोग अपने पूर्व जन्म में वैश्य कुल मे थे ऐसा जानना चाहिए।
शेष लगातार……………..