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भाग्य और कर्म जब जब साथ रहेंगे तब तब विजय सुनिश्चित है । लेकिन खाली भाग्य भरोसे बैठना ठीक नहीं । एक कहावत है- कि ईश्वर उन्हीं की सहायता करते हैं जो अपनी सहायता स्वयं करते हैं । इसका मतलब यह है कि कर्म करने पर ही भाग्य साथ देता है और सफलता मिलती है, और यह भी सच है कि :- जब भाग्य होता है, यानि प्रभु कृपा करते हैं तो शुभकर्म स्वयं होते है, भाग्य और कर्म साथ साथ चलतेहै एक ही सिक्के के दो पहलू है ,लेकिन प्रधानता कर्म को मिली है क्योंकि कर्म करना हमारे अधिकार मे है ।