
विवाह बाधा और निवारण
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सप्तम भाव यदि पाप ग्रहों से दूषित हो, तो विवाह संबंधी परेशानियां होती हैं, जिनमें विलंब विवाह भी है। दूषित का अर्थ है पाप ग्रहों की दृष्टि या सप्तम भाव मे स्थिति।
इसी तरह चतुर्थ सुख भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव, एवं सप्तमेश अस्त होना भी विलंब का कारण हो सकता है।
द्वितीय भाव में मंगल या पाप ग्रहों की स्थिति। सप्तम भाव में गुलिक होना। सप्तम भाव में राहु की सूर्य या चन्द्रमा के साथ युति भी विवाह में देरी करवाती है।
यदि कुण्डली मे अनन्त, कुलिक,तक्षक,कर्कोकक,शेषनाग आदि कालसर्प योग है तो विवाह में विलंब होता है।
उपाय :- 70ग्राम सफेद चावल,70 से.मी. सफेद कपड़ा,7 मिश्री की छोटी डलियां,7 सफेद रंग के फूल, 7इलायची,7सिक्के,7सफेद चंदन के टुकड़े,7 जनेऊ के जोड़े।
इन सभी सात चीजों को सफेद कपड़ें मे बाँधकर विवाह के इच्छुक व्यक्ति को घर के किसी सुरक्षित स्थान पर शुक्रवार को प्रातः स्नानादि करके अपने इष्टदेव का ध्यान करके मनोकामना करें और उठाकर इसे 90 दिनों तक गुप्त स्थान में रखें। जब विवाह हो जाये तो इन वस्तुओं को जल मे प्रवाहित कर दें।
2- 70 ग्राम चने की दाल, 70 से.मी पीला चमकदार कपड़ा, 7 पीले सिक्के, 7 पूजा वाली सुपारी, 7 साबूत हल्दी वाली गांठें, 7 गुड़ की डलियां, 7 पीले पुष्प, एवं सात जनेऊ जोड़े। इन सबको पीले कपड़ें मे बाँधकर स्वयं कन्या गुप्त स्थान में रख दे जहां किसी की दृष्टि न पड़े यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के गुरुवार को करें।