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रोग एक उपचार अनेक – भाग 2
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” मुँह के छाले “
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लक्षण :- इसमें रोगी के मुँह के अन्दर घाव हो जाते हैं। रोगी को भोजन करने में तथा बात करने में परेशानी होती है।
चिकित्सकीय कारण :-
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संक्रमण, उदर विकार, दवाइयों का दुष्प्रभाव, अत्यधिक गर्म वस्तुओं का सेवन इत्यादि कारणों से मुँह मे छाले होते हैं।
ज्योतिषीय कारण :-
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यदि व्यक्ति की जन्म पत्रिका में निम्नलिखित में से कोई एक योग होता है तो व्यक्ति मुँह के छालों से पीडि़त होता है―
१- मेष या वृश्चिक राशि में बुध और लग्नेश की युति हो।
२- मिथुन और कन्या राशि में लग्नेश और मंगल की युति हो और वहां बुध की दृष्टि हो।
३- द्वितीय भाव में मंगल और सूर्य की युति हो।
होम्योपैथी उपचार :-
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मूर्कसोल, मर्ककोर,बोरेक्स, कालीफ्लोर इत्यादि औषधियों का प्रयोग।
एलोपैथिक उपचार :-
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बी कामप्लेक्स आदि औषधियों का प्रयोग करें
आयुर्वेदिक उपचार :-
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फूली हुई फिटकरी को गर्म जल में मिलाकर कुल्ले करने से, रस माणिक्य का सेवन करने से, त्रिफला चूर्ण को सेवन से,कंठ पीयूष लगाने से उक्त रोग मे लाभ होता है।
तांत्रिक उपचार :-
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निम्नलिखित मंत्र के जपने से उक्त रोग मे आराम मिलता है―
” देहि सौभाग्यमारोग्यं, देहि मे परमं सुखम्।
रुपं देहि, जयं देहि,यशो देहि, द्विषो जहि “।।
चुम्बकीय उपचार :-
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दोनों हाथों की हथेलियों की नीचे कम शक्ति के चुम्बक रखने तथा गालों पर पर कम शक्ति के चुम्बक फिराने से मुख के छालों मे लाभ मिलता है।
ज्योतिषीय उपचार :-
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१- ऊँ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यच हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।
२- ऊँ अग्निर्मूर्द्धादिवः ककुत्पतिः पृथिव्याsअयम्।
अपागुंरेतागुंसिजिन्वति।।
३- ऊँ उदबुध्यस्वाग्ने प्रतिजागृहि त्वमिष्पटापूर्ते स गुं सृजेथामयं च , अस्मिनत्स- धस्थेsअध्युत्तरस्मिन् विश्वे देवा यजमानश्चसीदत।।
उपरोक्त मंत्रों का जप से भी मुँह के छालों मे आराम हो जाता है।