October 10, 2019

वायव्य और पश्चिम दिशा के द्वार क्या कहते हैं जानिये- वास्तु भाग 6

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उत्तर-पश्चिम और पश्चिम दिशा के मध्य के द्वार का फल जाने
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वास्तु शास्त्र- भाग 7
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उत्तर-पश्चिम अर्थात वायव्य कोण और पश्चिम दिशा के बीच की जगह इसे गणितीय विधि में वायव्य कोण से पश्चिम दिशा के मध्य ४५ डिग्री कोण वाले भाग का आधा भाग मतलब २२.५ डिग्री कोण वाला भाग जो ठीक पश्चिम दिशा की तरफ है वहां वास्तु में असुर क्षेत्र यदि घर का दरवाजा बना है तो उस घर का स्वामी सरकारी या गैर सरकारी प्रशासनिक इकाइयों के द्वारा किसी न किसी रुप दण्डित अवश्य किया जायेगा।
इसी भाग में यदि शोष नामक वास्तु क्षेत्र में यदि घर का दरवाजा बना है तो गृहस्वामी का धननाश हो जायेगा।
इसी भाग मे यदि पापयक्ष्मा के ऊपर घर का दरवाजा बना हुआ है तो उस घर के मालिक को रोग ग्रसित करेंगे , मृत्यु दे सकते हैं तथा जेल भी हो सकती है।
कहते है कि कोई भी चीज एक आयामी नहीं होती अर्थात खूबी और खराबी दोनों रहती ही हैं।
यहां भी जो अच्छाई है आईये उसे जानते है।
ज्योतिष में यह क्षेत्र जल से सम्बंध रखने वाला है अतः यदि यहां हम किसी कर्मचारी को बैठा दे तो वह कभी भी किसी रहस्य को छुपा नहीं सकता, इस बात का कैसे फायदा ले इस बारे मे बताते है यदि यहां कोई शिक्षक से पढ़ाई करवाये तो वह अपने अंदर का सारा ज्ञान बाहर उंडेल देगा और बच्चों को अर्थात छात्रों को बहुत लाभ होगा।
यदि इसी दिशा असुर और शोष के बाद वाली जगह में एक कक्ष बना दे और किसी भी लड़ने वाली दो पार्टियों को बुलाकर तीन घंटे बैठाकर समझोता करने की कोशिश पूरी तरह कामयाब होगी।
इसी जगह यदि पत्नी रोज अपना काम निबटाकर मोहल्ले की औरतों से दरबार लगायें तो वो अपने पति से लड़ाई नहीं करेगी।
आशा है वास्तु के इस ज्ञान का आप लाभ उठायेंगे।-PK

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