May 16, 2020

करोना वायरस का प्रकोप २७ जुलाई२०२०को समाप्त होने की संभावना – महाभारत आदिपर्व

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महामारी करोना वायरस का कारण प्राकृतिक असंतुलन है। सतोगुण की कमी है। प्रकृति का दोहन की जगह निर्ममता से शोषण है। अग्नि प्रक्षेपास्त्रों का बना कर परीक्षण करना ,घनत्व परिवर्तन, अहंकार , ईर्ष्या, से हथियारों की होड़, अशांति और असंतोष से भरे लोगों का चारों दिशाओं में रोजगार के लिए भटकन , पर्यावरण का विषाक्त होना आदि अनेक कारण है। प्रकृति जब असंतुलित हो जाती है तो प्राकृतिक आपदाएं आती हैं जैसे, अतिवृष्टि, सूखा, महामारियां,अकाल,विषाणु और जीवाणुओं के कारण महामारी इत्यादि।
प्रकृति अष्टधा है ―
भूमिरायोsनलो वायुः खं मनो बुद्धिरेव च।
अहड़्कार इतीयं मे भिन्ना प्रकृतिरष्टिधा।।

ये आठ प्रकार की प्रकृति परमात्मा से उत्पन्न उर्जा है। मन,बुद्धि और अहंकार ही जीव को पांचों तत्वों से बने संसार में बाँधे रखते हैं ।
आज सभी के सभी तत्व प्रदूषित है। नदियां, पहाड़, अन्न, जल ,हवा ,अग्नि सभी के सभी । अतः पृथ्वी, जल,तेज,वायु, आकाश, सूर्य, चन्द्रमा, यजमान सभी को अर्थात इन ८मूर्तियों मे जिन्हें यज्ञवाहन बनाया,इनकी दूषितता दूर करने के लिए प्रत्येक को पंद्रह-पंद्रह दिन लगेंगे।

क्योंकि महाभारत ग्रंथ के आदिपर्व के अध्याय २२१,२२७,२३३ श्लोक नम्बर ७-१४ एवं ४६ मे इसका उल्लेख है।


तद् वनं पावको धीमान दिनानि दश पञ्च च।
ददाह कृष्ण पार्थाभ्यां रक्षितः पाकशासनात्म।४६

अतः अष्टधा प्रकृति की आठो उर्जाओं को शुद्ध करने के लिए १५×८= १२० दिन तथा विराम के लिए पांच दिन और अतः कुल १२५ दिन ।
पावकश्र्च तदादावं दग्ध्वा समृगपक्षिणम।
अहानि पञ्च चैकं च विरराम सुतर्पितः।।१५।।
अतः इसको प्रथम करौना वायरस केस भारत ३०/१/२०२० से न जोड़कर इसे लाकडाऊन शुरुआत की अवधि २५ मार्च २०२० से १२५ दिन गणना करेंगे। २७ जुलाई २०२० को करौना वायरस का प्रकोप शांत होने की संभावना है।

 

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