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क्या आप अपने आप मे शिव को, और
अपनी स्त्री मे शक्ति को महसूस करते हो?
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” जीवः शिवः शिवो जीवः सजीवः केवलः शिवः “
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हर आदमी शिव है, लेकिन शक्ति के बिना नहीं।
शक्ति के बिना वह अधूरा है। अपनी पूरी क्षमता प्राप्त करने के लिए उसे शक्ति को पाना होगा। स्त्री रुपी शक्ति भी जरूरी है, जो आप पर विश्वास करे,वह अपने अहंकार को उसके सामने झुकाकर उसे अपनी शक्ति प्रदान करेगी। शिव-शक्ति का सदैव जोड़ा है।
परम शिव +शक्ति।
सदाशिव + दुर्गा ।
महाकाल + महाकाली।
शिव + पार्वती/ गौरी / उमा /गिरिजा।
पुरुष वास्तविक कर्मो से कमाता है, और दृष्टिकोण से सम्मान को प्राप्त करता है।
पत्नी अगर पति का सम्मान न करे तो दोनों ही जीवन के खेल मे हारने के लिए तैयार रहें।
अगर पुरुष स्त्री का सम्मान करेगा ,तो वह उसकी उपलब्धियों मे चोटियों की नींव बन जायेगी। यदि पुरुष अपनी स्त्री से प्रेम और सम्मान करता है और वह स्त्री भी अपने पुरुष से प्रेम और सम्मान करती है तो यह योग है।
यह योगा ऊपर का रास्ता है धर्म का रास्ता है, भगवान का रास्ता है।
पुरुष के लिए स्त्री के सम्मान की सर्वोच्च डिग्री प्रशंसा है।
स्त्री को उसके पुरुष के गुणों के साथ प्रशंसा करना अवास्तविक लिफ्ट है जो उसे आत्म प्राप्ति की अधिकतम चोटियों पर पहुंचाता है।
अगर पुरुष को पता होता है कि एक स्त्री जो उससे प्यार करती है उन्हें कितना प्रशंसा दे सकती है तो वह पुरुष उसके लिए सब कुछ करेगा।
लेकिन यदि “मेरा सम्मान करो” मेरे झूठे अहंकार के लिए झुको ऐसा कहेगा तो ऐसा राजा नंगा ही निकलेगा। या ये कहे ” मै जो हूँ उसके लिए मुझे स्वीकार करों”
तो ये नीचें गिरने का सीधा मार्ग है। इसमें ऐसा संदेश है कि मै विकास नहीं करना चाहता, मुझे शिखर पाने की चाहत नहीं।
तो ऐसा व्यक्ति अपने आप मे शिव नहीं, और न ही वह शिव का अहसास कर पायेगा, स्त्री को ऐसे पुरुष से दूर रहना चाहिए। ऐसा पुरुष प्रशंसा योग्य भी नहीं है। स्त्री को उससे प्रिय को भी जन्म नहीं देना चाहिए।
पुरुष और स्त्री के बीच ऊर्जा विनिमय पार्वती की शिव की स्तुति है जिससे सम्पूर्ण भौतिक जगत होता है।
जिसकी पीठ पीछे शक्ति होती है वह उसकी प्रशंसा करता है। सचमुच जिसके चार हाथ और दो गुना, और आठ गुना कुशल है हर कोई उससे दोस्ती करना चाहता है। चुम्बक जैसा ऐसा आदमी अवसर,धन,और ध्यान आकर्षित करता है।
तो क्या आप अपने मे शिव को, और अपनी स्त्री मे शक्ति को महसूस करते हो?
“जीवो ब्रह्यैव नापरः”
Jiva is Brahm , none other.