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प्रश्न– कहते हैं मृत्यु का दिन और जगह निश्चित है पर मृत्यु और अकाल मृत्यु क्या है ?
उत्तर – वैसे सभी काल मृत्यु है, फिर भी काल मृत्यु और अकाल मृत्यु मे भेद है। काल पूर्ण हुए बिना मृत्यु हो ही नही सकती है। फिर भी मृत्यु के चार कारण हैं।
(१) आयुक्षय :- पूर्णायु मानी जाती है।
(२) कर्मक्षय :- जशक कर्म से संजातशक्ति के हासवश।
(३) आयुक्षय एवं कर्मक्षय :- दोनों कारण से मृत्यु।
(४) उपच्छेदक कर्म :- यदि आयु और कर्मशक्ति रहते हुये भी विरुद्ध शक्ति के प्रभाव से देहपात होता है, उसे उपच्छेदक कर्म का फल कहा जाता है यही अकाल मृत्यु है। जैसे वात पित्त कफ दोष तथा उनके सन्निपात को छोड़ देने से । प्रकृति क्षोभ से , भूकम्प, वर्जपात,वर्षा, आँधी, बाढ़ तथा सवारी, द्रव्यादि के अनुचित व्यवहार, आकस्मिक आक्रमण भी अकाल मृत्यु है। महामारी भी कारण है अकाल मृत्यु का। आशा है अकाल मृत्यु और स्वाभाविक मृत्यु मे अंतर समझ मे आ गया होगा।
– प्रमोद सक्सेना एस्ट्रोलॉजी मिशन डाट काम