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स्नान (Bath) अर्थात शरीर धोना:-
प्रश्न-स्नान कितने प्रकार के होते हैं और श्रेष्ठ कौनसा है?
स्नान सात तरह से कर सकते हैं―
(१) मंत्र स्नान- आपोहिष्ठा मंत्र से स्नान।
(२) अग्नि स्नान- राख से स्नान अथवा भस्मी स्नान है।
(३) भौम स्नान - मिट्टी को पूरे शरीर में लगाकर स्नान।
(४) वायव्य स्नान― गाय के खुर से जो धूल उड़ती हो उससे स्नान करना।
(५) मानसिक स्नान- आत्म चिंतन से ऊँ अपवित्रो पवित्र.
(६) दिव्य स्नान- सूर्य की किरणों मे वर्षा के जल से स्नान
(७) वरुण स्नान- जल मे डुबकी लगाने से स्नान जो होता
प्रश्न २- स्नान कब करना चाहिए ? तथा क्या फल हैं ?
(१) सर्वोत्तम स्नान ― ब्रह्म महुर्त मे किया गया स्नान सर्वोत्तम स्नान है इसका समय सुबह ४बजे से ५बजे तक है। इसका फल घर मे सुख,शान्ति, समृद्धि, विद्या, बल,आरोग्य प्रदान करता है। शास्त्रों में इसे मुनि स्नान कहा है।
(२) उत्तम स्नान- प्रातः काल ५ बजे से ६ बजे के बीच किया गया स्नान उत्तम स्नान है। इसका फल यश, कीर्ति, धन, वैभव,सुख,शांति आदि है। शास्त्रों में इसे देव स्नान बताया है।
(३) सामान्य स्नान – इसका समय ६ बजे से ८ बजे के बीच है, यह नार्मल स्नान है, इसका फल काम मे सफलता, भाग्य वृद्धि, अच्छे कामो की सूझबूझ और परिवार में एकता आदि हैं। शास्त्रों में इसे मानव स्नान बताया है।
(४) निषेध स्नान- जो स्नान ८ के बाद किया जाता है वो राक्षसी स्नान है जिसे शास्त्रों में निषेध माना जाता है।
इसका फल दरिद्रता, हानि, क्लेश, धन हानि, परेशानियों को दर्शाता है।