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अक्षय तृतीया (आखा तीज ) श्रेष्ठ फलदायी ~
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अक्षय का अर्थ है कभी क्षय नही होने वाला दान-पुण्य के लिए श्रेष्ठ है―
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साढ़े तीन मुहूर्त मे अक्षय तृतीया प्रमुख है इसलिये अबूझ मुहूर्त्त नया कार्य करने के लिए श्रेष्ठ है―
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कितनी महत्वपूर्ण ↓
(१) भगवान परशुराम जयंती ।
(२) नर नारायण जयंती।
(३) हयग्रीव अवतार जयंती।
(४) त्रेतायुग का आरम्भ की तिथि।
(५) भगवान गणेश ने जब महाभारत लेखन कार्य प्रारम्भ का दिन है अक्षय तृतीया।
(६) अक्षय तृतीया के दिन गंगा नदी स्वर्ग लोक से पृथ्वी लोक आयी थी।
क्या करना चाहिए ?
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(१) नर-नारायण के लिए→ सत्तू दान।
(२) भगवान परशुराम जी के लिए→ ककड़ी दान ।
(३) हयग्रीव अवतार के लिए → भीगी चने की दाल।
(४) भगवान श्रीकृष्ण जी के लिए→ गंगाजलस्नान तथा चंदन चटायें।
(५) भगवान ऋषभदेव को गन्ने का रस चढ़ाएं।
(६) भगवान बद्रीनारायण के पट खुलते हैं उन्हें मिश्री और भीगी चने की दाल का भोग लगायें।
(७)स्वर्गीय आत्माओं की प्रसन्नता के लिए जल कलश, पंखा, खड़ाऊं, छाता,सत्तू,ककड़ी, खरबूजा, शक्कर, मिष्ठान्न ब्राह्मण को दान दें।अन्न ,नमक,चावल ,गुड़,स्वर्ण और वस्त्र भी दान किया जाना चाहिए।
अक्षय तृतीया बड़ी पवित्र और महान फल देने वाली है, इसलिए इस दिन सफलता की आशा से व्रत करें उत्सव मनायें। वस्त्र, शस्त्र, और आभूषण बनवायें अथवा जो पास मे हो उन्हें धारण जरूर करें।
नये उपक्रम का उद्घाटन करना श्रेष्ठ है।